'भागवत को अरेस्ट करने के ऑर्डर...' मालेगांव बम धमाके केस में बड़ा खुलासा

Edited By Updated: 01 Aug, 2025 01:06 PM

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मालेगांव बम धमाके मामले में 17 साल बाद NIA की स्पेशल कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है, जिनमें BJP सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय जैसे नाम शामिल थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि...

नेशनल डेस्क:  मालेगांव बम धमाके मामले में 17 साल बाद NIA की स्पेशल कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है, जिनमें BJP सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय जैसे नाम शामिल थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि prosecution पक्ष के पास ठोस और विश्वसनीय सबूत नहीं थे, इसलिए आरोपियों को केवल आरोपों के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

लेकिन इस फैसले के एक दिन बाद एक बड़ा सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस केस की शुरुआती जांच में शामिल रिटायर्ड ATS अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया है कि उन पर RSS प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का दबाव था। मुजावर ने बताया कि तत्कालीन जांच अधिकारी परमवीर सिंह ने उन्हें यह आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने झूठे केस में शामिल होने से साफ मना कर दिया।

मुजावर ने मीडिया से कहा कि उस समय भगवा आतंकवाद की थ्योरी को साबित करने के लिए अधिकारियों पर काफी दबाव था। वे झूठी चार्जशीट बनाने और मृतकों को जिंदा दिखाने के विरोध में थे, जिस वजह से उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए। हालांकि बाद में कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।

उन्होंने बताया कि इस पूरे केस में केवल एक नकली कहानी गढ़ी गई थी, जो पूरी तरह गलत थी। कोर्ट के फैसले पर मुजावर ने संतोष जताया और कहा कि न्याय की जीत हुई है। साथ ही उन्होंने उन अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग भी की जिन्होंने उन पर दबाव डाला।

यह मामला 29 सितंबर 2008 का है जब महाराष्ट्र के मालेगांव में एक बम धमाका हुआ था। भीकू चौक पर दोपहिया वाहन में रखा गया बम फटा, जिसमें 6 लोग मारे गए और करीब 101 घायल हुए। मारे गए लोगों में फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत, शेख मुश्ताक यूसुफ, शेख रफीक मुस्तफा, इरफान जियाउल्लाह खान, सैयद अजहर सैयद निसार और हारून शाह मोहम्मद शाह शामिल थे।

इस घटना ने देश में खूब सियासत और विवाद पैदा किया था। अब जब आरोपियों को बरी किया गया है, तो केस के पीछे छुपे कई राजनीतिक और जांच संबंधी सवाल फिर से चर्चा में आ गए हैं। खासकर उन दबावों और कोशिशों पर सवाल उठ रहे हैं, जिनके तहत मोहन भागवत जैसे बड़े नेता तक को इस मामले में फंसाने की कोशिश की गई थी।

यह पूरा मामला जांच, राजनीति और न्याय प्रणाली के बीच एक बड़ी पहेली की तरह है, जिसने कई वर्षों तक सुर्खियां बटोरीं। अब उम्मीद जताई जा रही है कि सच के साथ-साथ जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी उचित कार्रवाई होगी।


 

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