Edited By Yaspal,Updated: 20 Jun, 2022 05:08 PM
गोपालकृष्ण गांधी ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई बैठक में विपक्ष के बीच तीन नामों पर सहमति बनी थी, गोपालकृष्ण गांधी भी उनमें से एक नाम था। गोपालकृष्ण गांधी ने राष्ट्रपति चुनावों के लिए उनकी...
नेशनल डेस्कः गोपालकृष्ण गांधी ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई बैठक में विपक्ष के बीच तीन नामों पर सहमति बनी थी, गोपालकृष्ण गांधी भी उनमें से एक नाम था। गोपालकृष्ण गांधी ने राष्ट्रपति चुनावों के लिए उनकी उम्मीदवारी पर विचार करने को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं को धन्यवाद दिया, लेकिन उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति होनी चाहिए, और भी लोग होंगे जो मुझसे कहीं बेहतर काम करेंगे।
इससे पहले शरद पवार और फारुख अब्दुल्ला भी अपनी उम्मीदवारी को ठुकरा चुके हैं। बता दें कि ममता बनर्जी ने पिछले हफ्ते राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के नाम पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में विपक्ष की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में विपक्ष ने कई नामों पर विचार किया था। बताते चलें कि राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है। अगर जरूरत पड़ी तो 21 जुलाई को वोटों की गिनती की जाएगी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।
कौन हैं गोपालकृष्ण गांधी
गोपालकृष्ण गांधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पोते हैं। वह पूर्व में आईएएस अधिकारी रह चुके हैं और 2004 से 2009 के बीच पंजाब के 22वें राज्यपाल भी रहे हैं। गोपालकृष्ण गांधी को 2017 में विपक्ष ने उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर नाम आगे किया था।
क्या है राष्ट्रपति चुनाव का गणित
अगर राष्ट्रपति चुनाव की गणित के हिसाब से देखें तो राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कम से कम 5,43,216 वोट चाहिए होंगे। लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 233 सदस्यों को वोटों को मिलाकर वैल्यू 543200 है। सभी राज्यों की विधानसभा सदस्यों की कुल वोट वैल्यू 543231 है। यानी संसद के सदस्यों और सभी विधानसभाओं के सदस्यों का कुल वोट वैल्यू 1086431 है।
देश की मौजूदा राजनीति में दो गठबंधन एनडीए और यूपीए ही अस्तित्व में हैं। राष्ट्रपति चुनाव के नजरिए से देखें तो एनडीए के पास करीब 48 फीसदी वोट हैं और उसके उम्मीदवार को जीतने के लिए 10 हजार से कुछ ज्यादा वोटों की जरूरत है। वहीं यूपीए के पास इस समय 23 फीसदी के आसपास वोट हैं। अगर संयुक्त विपक्ष की बात करें तो उसके पास करीब 51 फीसदी तक वोट हो जाते हैं।
लेकिन सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो जाएंगी ये अभी दूर की कौड़ी नजर आती है। साल 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस ने एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया था। बीजेपी इस बार भी इन दोनों पार्टियों की अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है। विपक्ष की ओर से भले ही इस चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम सामने आ रहे हैं लेकिन एनडीए की ओर से अभी तक पत्ते नहीं खोले गए हैं। माना जा रहा है कि एनडीए में शामिल बीजेपी कोई चौंकाने वाला नाम आगे कर सकती है।