Edited By Parveen Kumar,Updated: 16 Aug, 2025 06:57 PM

अगर आपका बच्चा भी मोबाइल फोन के बिना खाना नहीं खाता, घंटों स्क्रीन पर गेम या वीडियो देखता है और मोबाइल न मिलने पर चिड़चिड़ा हो जाता है, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। बच्चों को मोबाइल की लत से छुटकारा दिलाने और उन्हें रचनात्मक गतिविधियों में जोड़ने के...
नेशनल डेस्क: अगर आपका बच्चा भी मोबाइल फोन के बिना खाना नहीं खाता, घंटों स्क्रीन पर गेम या वीडियो देखता है और मोबाइल न मिलने पर चिड़चिड़ा हो जाता है, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है।बच्चों को मोबाइल की लत से छुटकारा दिलाने और उन्हें रचनात्मक गतिविधियों में जोड़ने के लिए पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में शतरंज सिखाने की अनोखी पहल शुरू की गई है।
50 स्कूलों में शुरू हुआ प्रोजेक्ट
दक्षिण 24 परगना जिले के 50 स्कूलों के 55 शिक्षकों को शतरंज की ट्रेनिंग दी गई है। अब ये शिक्षक अपने-अपने स्कूलों में बच्चों को शतरंज सिखा रहे हैं। योजना के दूसरे चरण में जिले के सभी स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
इस पहल की शुरुआत साउथ 24 परगना चेस एसोसिएशन के सहयोग से की गई है। एसोसिएशन के सचिव तापस सरकार ने बताया कि पहली बार स्कूली शिक्षकों को इस तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि बच्चों को मोबाइल से हटाकर मानसिक विकास की ओर ले जाया जा सके।
शतरंज से बच्चों को होंगे ये फायदे
स्कूल इंस्पेक्टर कृष्णेंदु घोष के अनुसार, शतरंज खेलने से बच्चों की गणना क्षमता, तर्क शक्ति, टीम वर्क और एकाग्रता बढ़ती है। यह खेल मानसिक विकास के लिए बहुत फायदेमंद है।
शतरंज के लाभ:
- सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है
- धैर्य और संयम आता है
- तर्क शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है
- एकाग्रता और फोकस बेहतर होता है
- गलतियों से सीखने की आदत विकसित होती है
- मोबाइल की लत से हो सकते हैं गंभीर नुकसान
एक अमेरिकी मानसिक स्वास्थ्य संगठन सेपियन लैब्स की रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादा मोबाइल देखने से बच्चों की याददाश्त कमजोर हो सकती है और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
वहीं, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक स्टडी में बताया गया है कि अधिक स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों में बेचैनी, नींद की कमी, अवसाद, मोटापा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
माता-पिता को भी करनी होगी पहल
विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों की मोबाइल की आदत छुड़ाने के लिए माता-पिता को सबसे पहले खुद का स्क्रीन टाइम कम करना होगा। खाने के समय, सोने से पहले और खासतौर पर जब बच्चा पास हो, तो मोबाइल से दूरी बनाकर बच्चे से संवाद करें।
क्या करें:
- बच्चे की दिनचर्या तय करें – पढ़ाई, खेल, खाना, सोना सब समय पर
- स्क्रीन टाइम सीमित करें
- पेंटिंग, म्यूजिक, डांस, क्राफ्ट जैसी क्रिएटिव एक्टिविटीज में लगाएं
- मोबाइल दूर रखें, खासकर सोते वक्त
- कम उम्र में मोबाइल न खरीदकर दें