ट्रंप की टैरिफ वाली धमकियों के बीच पुतिन से मिलने मॉस्को पहुंचे NSA अजीत डोभाल, तेल खरीद पर हो सकती है बड़ी डील

Edited By Updated: 06 Aug, 2025 12:17 AM

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 25% आयात शुल्क (टैरिफ) और फार्मा उत्पादों पर 250% टैरिफ लगाने की धमकी के बीच भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दबाव की राजनीति से नहीं झुकेगा। जब ट्रंप खुलेआम भारत को रूस से तेल खरीदने पर “सज़ा” देने...

नेशनल डेस्कः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 25% आयात शुल्क (टैरिफ) और फार्मा उत्पादों पर 250% टैरिफ लगाने की धमकी के बीच भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह दबाव की राजनीति से नहीं झुकेगा। जब ट्रंप खुलेआम भारत को रूस से तेल खरीदने पर “सज़ा” देने की बात कर रहे थे, उसी समय भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मास्को पहुंचे, और उन्होंने रूस के शीर्ष रक्षा एवं सुरक्षा अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण रणनीतिक वार्ताएं शुरू कीं।

यह दौरा महज़ एक कूटनीतिक इत्तिफाक नहीं, बल्कि एक सुनियोजित संदेश है कि भारत अपनी विदेश नीति और ऊर्जा सुरक्षा को किसी बाहरी दबाव के अधीन नहीं करेगा। इससे पहले रूस के उप-रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने नई दिल्ली में भारतीय राजदूत से मुलाकात की थी, जो दोनों देशों के बीच सहयोग को और गति देने का संकेत है।

रूस से तेल आयात पर भारत का रुख स्पष्ट: "हम सस्ते विकल्प को प्राथमिकता देंगे"

भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दो टूक कहा कि, "हम भारतीय उपभोक्ताओं के हित में फैसले लेंगे। अगर रूसी कच्चा तेल अन्य विकल्पों से सस्ता है, तो वह हमारी प्राथमिकता रहेगा।" उन्होंने यह भी संकेत दिया कि ट्रंप की धमकियों के बाद भारत रूस से और बेहतर मूल्य पर कच्चा तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त छूट की मांग कर सकता है।

रूसी तेल का भारत के ऊर्जा सेक्टर में महत्व बढ़ता ही जा रहा है:

  • आज भारत का लगभग 40–45% कच्चा तेल आयात रूस से होता है, जो 2022 में यूक्रेन युद्ध से पहले केवल 0.2% था।

  • भारत, रूस से तेल खरीदने वाला चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।

  • यह सस्ता तेल केवल घरेलू ऊर्जा कीमतों को ही नहीं नियंत्रित कर रहा, बल्कि भारत से डीजल और एविएशन फ्यूल का बड़ा निर्यात यूरोप को किया जा रहा है, जिससे यूरोपीय ऊर्जा संकट भी राहत पा रहा है।

डोभाल की वार्ताएं: रक्षा और रणनीति पर फोकस

अजीत डोभाल की मास्को यात्रा का उद्देश्य है:

  • भारत-रूस के बीच S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की शेष इकाइयों की आपूर्ति को तेज करना,

  • ब्रह्मोस मिसाइल की अपग्रेड श्रृंखला पर सहयोग,

  • और साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष रक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को विस्तारित करना।

यह दौरा रूस के साथ गहराते रक्षा-संबंधों का प्रमाण है और अमेरिका को यह स्पष्ट संदेश देता है कि भारत किसी एक ध्रुवीय रणनीतिक दबाव के अधीन नहीं है।

जयशंकर का अगला कदम: अगस्त के मध्य में रूस दौरा तय

विदेश मंत्री एस. जयशंकर अगस्त के मध्य में मास्को का दौरा करेंगे। उनका यह दौरा डोभाल की यात्रा की आवृत्ति और विस्तार के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, और रणनीतिक समन्वय पर उच्चस्तरीय वार्ता होगी।

भारत, BRICS और SCO जैसे मंचों के ज़रिए भी रूस के साथ बहुपक्षीय सहयोग को और मजबूती देने की दिशा में काम कर रहा है।

ट्रंप की टिप्पणियां और भारत का ठोस जवाब

राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाओं को "Dead Economies" कहा और कहा कि जो देश रूस से घनिष्ठ व्यापारिक संबंध रखते हैं, उन्हें इसकी सजा मिलनी चाहिए। इस पर भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और अपने रुख को साफ किया: "भारत अपनी विदेश नीति किसी के इशारे पर नहीं चलाएगा। एनर्जी सिक्योरिटी हमारे लिए राष्ट्रीय हित का मुद्दा है, और इसमें कोई समझौता नहीं होगा।"— भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता

भारत ने यह भी आरोप लगाया है कि ट्रंप “Double Standards” अपना रहे हैं, क्योंकि अमेरिका और यूरोप स्वयं भी रूस के साथ कई क्षेत्रों में व्यापार कर रहे हैं, फिर भी भारत को निशाना बनाया जा रहा है।

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