Edited By Mehak,Updated: 26 Oct, 2025 06:47 PM

एक रिसर्च में पाया गया है कि ब्लड ग्रुप ‘A’ और ‘AB’ वाले लोगों में पेट के कैंसर का खतरा ज्यादा होता है. अध्ययन के अनुसार, ए ब्लड ग्रुप वालों में यह जोखिम 13% और एबी वालों में 18% तक बढ़ जाता है. इसका कारण हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया से संक्रमण...
नेशनल डेस्क : बदलते लाइफस्टाइल और खान-पान की वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां युवाओं में भी बढ़ रही हैं। हालिया शोध बताते हैं कि किसी–किसी ब्लड ग्रुप वालों में पेट (Gastric) कैंसर का खतरा अन्य लोगों की तुलना में थोड़ा अधिक हो सकता है। आइए समझते हैं यह कैसे और क्यों होता है।
ब्लड ग्रुप कैसे तय होता है?
हमारे ब्लड ग्रुप (A, B, AB, O) आनुवंशिक होते हैं - माता-पिता से मिलते हैं। ये ग्रुप लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) की सतह पर मौजूद एंटीजन और प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडीज़ के कॉम्बिनेशन से तय होते हैं। साथ ही रक्त का Rh factor (Positive/Negative) भी होता है।
रिसर्च स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा
कई रिसर्चों के समेकित रिव्यू में यह पैटर्न पाया गया कि ब्लड ग्रुप A और AB वाले लोगों में पेट के कैंसर का जोखिम कुछ हद तक ज्यादा मिलता है। उदाहरण के तौर पर कुछ अध्ययनों में ब्लड ग्रुप A वालों में O ग्रुप के मुकाबले पेट कैंसर का जोखिम लगभग 13–19% अधिक और AB ग्रुप में 9–18% अधिक देखे गए। इसका मतलब यह नहीं कि A/AB वालों को निश्चित रूप से कैंसर होगा, सिर्फ जोखिम में मामूली अंतर दिखा है।
क्या ब्लड ग्रुप सीधे कैंसर का कारण बनता है?
स्टडी में यह स्पष्ट नहीं कहा गया कि ब्लड ग्रुप सीधे कैंसर का कारण बनता है, पर कुछ जैवो-तर्क बताए गए हैं:
- अलग-अलग ब्लड ग्रुप में सूजन (inflammation) को नियंत्रित करने की क्षमता में अंतर हो सकता है।
- कोशिकाओं के बीच संचार (cell signaling) और इम्यून सिस्टम का कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने का तरीका भिन्न हो सकता है।
- कुछ ब्लड ग्रुप वालों में पेट में एसिड का स्तर अलग हो सकता है, जो जोखिम को प्रभावित कर सकता है।
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी और ब्लड ग्रुप का कनेक्शन
पुरानी रिपोर्टों से लगता है कि ब्लड ग्रुप A के लोगों में Helicobacter pylori (H. pylori) नामक बैक्टीरियल संक्रमण अधिक पाया गया। यह बैक्टीरिया पेट में घाव और सूजन कर सकता है और लंबे समय में कैंसर का जोखिम बढ़ाता है। AB ग्रुप में भी H. pylori के साथ मिलकर जोखिम बढ़ने का संकेत मिलता है। फिर भी कई अध्ययनों में A ग्रुप वालों में H. pylori संक्रमण के बिना भी जोखिम कुछ ज्यादा दिखा, इसलिए यह सिर्फ एक कारण हो सकता है, पूरी तस्वीर नहीं।
किन लोगों में पेट कैंसर जल्दी होता है?
- उम्र बढ़ने के साथ जोखिम बढ़ता है (बुजुर्गों में अधिक)।
- वैश्विक स्तर पर कुछ क्षेत्रों—जैसे एशिया, पूर्वी यूरोप, लैटिन अमेरिका—में मामले अधिक मिलते हैं।
- पुरुषों में यह महिलांओं की तुलना में ज्यादा होता है।
- परिवारिक इतिहास, खराब डाइट, मोटापा, स्मोकिंग और एल्कोहल जैसी आदतें जोखिम बढ़ाती हैं।
- कुछ युवा समूहों (उदाहरण के लिए युवा हिस्पैनिक महिलाएं) में केस बढ़ने की रिपोर्ट भी मिल रही है।
शुरुआती संकेत, इन्हें नज़रअंदाज़ न करें
पेट के कैंसर की शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य गैस, अल्सर या पाचन समस्या समान होते हैं:
- पेट में लगातार दर्द या ऐंठन
- भूख कम लगना व तेजी से वजन घटना
- लंबे समय तक बदहज़मी, acidity या अपच
- उल्टी या खून आना (वॉमिट या स्टूल में खून)
- कमजोरी, थकान, ब्लड-ऊँचाई में गिरावट (अनिमिया)
यदि ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें तो डॉक्टर से जाँच कराएं।
क्या करना चाहिए, सावधानियां और बचाव
1. नियमित स्क्रीनिंग: ख़ासतौर पर अगर परिवार में पेट कैंसर का इतिहास हो या जोखिम-कारक मौजूद हों।
2. H. pylori की जांच और इलाज: यदि संक्रमण पाया जाए तो एंटीबायोटिक थेरेपी से ठीक हो सकता है।
3. स्वस्थ आहार: कम नमक, प्रोसेस्ड और धूम्रपान वाले खाद्य पदार्थ कम करें; ताज़ी सब्ज़ियाँ, फल और पूरी अनाज शामिल करें।
4. वजन और जीवनशैली नियंत्रण: मोटापा कम करें, नियमित व्यायाम करें, धूम्रपान और ज़्यादा शराब से बचें।
5. डॉक्टरी परामर्श: पेट में लगातार कोई समस्या हो तो गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट से सलाह लें; समय पर एंडोस्कोपी/बायॉप्सी जैसी जाँच आवश्यक हो सकती है।