PM मोदी का 75वां जन्मदिन: चाय बेचने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक, देखें उनके जीवन के कुछ खास तस्वीरें

Edited By Updated: 15 Sep, 2025 05:40 PM

pm modi s 75th birthday from selling tea to becoming the prime minister

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। 17 सितंबर, 1950 को गुजरात के वडनगर में एक साधारण परिवार में जन्मे मोदी का जीवन सफर लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है। उनके जन्मदिन के मौके पर आइए, उनकी जिंदगी के कुछ अनछुए और खास पलों पर नजर...

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। 17 सितंबर, 1950 को गुजरात के वडनगर में एक साधारण परिवार में जन्मे मोदी का जीवन सफर लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है। उनके जन्मदिन के मौके पर आइए, उनकी जिंदगी के कुछ अनछुए और खास पलों पर नजर डालते हैं। उनके पिता दामोदरदास मूलचंद मोदी वडनगर रेलवे स्टेशन के पास एक चाय की दुकान चलाते थे, जबकि उनकी माँ हीराबेन एक गृहिणी थीं। प्रधानमंत्री मोदी के चार भाई हैं, सोमा, अमृत, प्रह्लाद और पंकज, और एक बहन, वसंतीबेन।

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बचपन और प्रारंभिक जीवन
नरेंद्र मोदी का बचपन संघर्ष और सादगी से भरा था। उनके पिता दामोदरदास मूलचंद मोदी वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान चलाते थे, जहां नरेंद्र भी अक्सर उनकी मदद करते थे। उनकी मां हीराबेन एक गृहिणी थीं। स्कूल के दिनों से ही, नरेंद्र मोदी पढ़ाई में बेहद मेहनती और जिज्ञासु थे। उन्हें वाद-विवाद और किताबें पढ़ने का बहुत शौक था, जिसके लिए वे घंटों स्थानीय पुस्तकालय में बिताते थे।

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सेवा और समर्पण का भाव
सेवाभाव उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। महज 9 साल की उम्र में, उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर तापी नदी की बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए एक फ़ूड स्टॉल लगाया और उससे हुई कमाई को राहत कार्यों में दान कर दिया। इसके अलावा, उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सीमा पर जा रहे सैनिकों को चाय भी पिलाई थी।

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आध्यात्मिक और राजनीतिक यात्रा
17 साल की उम्र में, नरेंद्र मोदी ने घर छोड़ दिया और पूरे भारत की यात्रा पर निकल पड़े। बाद में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए। आरएसएस में उनका दिन सुबह 5 बजे शुरू होता था और देर रात तक चलता था। आपातकाल के दौरान भी वे इसके खिलाफ चले आंदोलन का हिस्सा बने। उनके विचारों पर स्वामी विवेकानंद का गहरा प्रभाव था, जिसने उनके आध्यात्मिक और सेवा-उन्मुख दृष्टिकोण को आकार दिया।

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साल 1985 में वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए और 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 2001 से 2014 तक लगातार चार बार मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात का नेतृत्व किया। 26 मई, 2014 को उन्होंने भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और अब वे लगातार तीसरे कार्यकाल में देश का नेतृत्व कर रहे हैं।

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