Edited By Mehak,Updated: 17 Aug, 2025 01:51 PM

पाकिस्तान में पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें सामने आ रही थीं कि फील्ड मार्शल जनरल आसिम मुनीर सत्ता पलट सकते हैं और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को हटाकर खुद पद संभाल सकते हैं। इन अटकलों को लेकर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पहले ही प्रतिक्रिया दे चुके थे, लेकिन...
नेशनल डेस्क : पाकिस्तान में पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें सामने आ रही थीं कि फील्ड मार्शल जनरल आसिम मुनीर सत्ता पलट सकते हैं और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को हटाकर खुद पद संभाल सकते हैं। इन अटकलों को लेकर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पहले ही प्रतिक्रिया दे चुके थे, लेकिन अब पहली बार खुद आसिम मुनीर ने इस पर खुलकर बात की है।
अफवाहें पूरी तरह झूठी : आसिम मुनीर
पाकिस्तान के एक अखबार में छपे कॉलम के अनुसार, पत्रकार सुहैल वराइच की हाल ही में ब्रुसेल्स में जनरल मुनीर से मुलाकात हुई थी। इस बातचीत का ज़िक्र करते हुए वराइच ने लिखा कि मुनीर ने साफ कहा - 'नेतृत्व में बदलाव की अफवाहें बिल्कुल झूठी हैं। इसके पीछे वही लोग हैं जो सरकार और सेना दोनों का विरोध करते हैं और देश में अराजकता फैलाना चाहते हैं।' मुनीर ने आगे कहा कि 'खुदा ने मुझे देश का रक्षका बनाया है और मुझे किसी राजनीतिक पद की कोई लालसा नहीं है।'
इमरान खान पर परोक्ष हमला?
जब उनसे पाकिस्तान में राजनीतिक समझौते की संभावना पर सवाल पूछा गया, तो मुनीर ने कहा कि मेल-मिलाप तभी संभव है जब ईमानदारी से माफी मांगी जाए। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि यह सीधा इशारा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) और उसके संस्थापक इमरान खान की ओर था, जो इस समय जेल में हैं। इस बयान से यह साफ झलकता है कि पाकिस्तान की राजनीति में सेना की भूमिका अब भी निर्णायक बनी हुई है और इमरान खान के समर्थकों व सेना के बीच तनाव जारी है।
अमेरिका और चीन पर राय
विदेश संबंधों पर भी मुनीर ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अमेरिका और चीन, दोनों के साथ संतुलन बनाए रखेगा और किसी एक देश के लिए दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रयासों की सराहना की और दावा किया कि पाकिस्तान ने ही ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की पहल की थी।
पाकिस्तान की राजनीति और सेना
पाकिस्तान के इतिहास में सेना और राजनीति का गहरा रिश्ता रहा है। कई बार सैन्य तख्तापलट के जरिए लोकतांत्रिक सरकारों को हटाया जा चुका है। ऐसे में आसिम मुनीर का यह बयान बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह सरकार और सेना के बीच स्थिरता और संतुलन का संकेत देता है।