Edited By Rohini Oberoi,Updated: 16 Jul, 2025 10:26 AM

घर में रखा सामान तो चूहे बर्बाद कर ही देते हैं लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि चूहे 800 बोतल से अधिक शराब चट कर गए हों? जी हाँ ऐसा ही एक अजीबोगरीब मामला झारखंड के धनबाद से सामने आया है। यहाँ व्यापारियों ने चूहों पर लगभग 800 शराब की बोतलें पीने का...
नेशनल डेस्क। घर में रखा सामान तो चूहे बर्बाद कर ही देते हैं लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि चूहे 800 बोतल से अधिक शराब चट कर गए हों? जी हाँ ऐसा ही एक अजीबोगरीब मामला झारखंड के धनबाद से सामने आया है। यहाँ व्यापारियों ने चूहों पर लगभग 800 शराब की बोतलें पीने का आरोप लगाया है। यह आरोप झारखंड की नई शराब नीति के 1 सितंबर से लागू होने से ठीक एक महीना पहले आया है। राज्य प्रशासन शराब के स्टॉक की जांच कर रहा था जिसके दौरान धनबाद के बलियापुर और प्रधान खुंटा क्षेत्रों की दुकानों का निरीक्षण किया गया था। तभी इस हैरतअंगेज़ मामले का खुलासा हुआ।
802 बोतलें खाली या लगभग खाली मिलीं
शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में की गई स्टॉक जांच में पता चला कि 802 आईएमएफएल (IMFL) बोतलें खाली या लगभग खाली थीं। जब व्यापारियों से इस गड़बड़ी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने चूहों को दोषी ठहराया। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि चूहों ने बोतलों के ढक्कन चबा दिए और शराब पी ली। हालांकि चूहों पर दोष मढ़ने की यह कोशिश काम नहीं आई और व्यापारियों को नुकसान की भरपाई करने के लिए कहा गया है।
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पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामले, आबकारी विभाग ने बताया 'बकवास'
सहायक आबकारी आयुक्त रामलीला रवानी ने कहा कि व्यापारियों को नुकसान की भरपाई के लिए नोटिस भेजे जाएंगे। उन्होंने व्यापारियों द्वारा चूहों को दोषी ठहराने को बकवास बताया। यह पहली बार नहीं है जब चूहों पर नशीले पदार्थों की चोरी का आरोप लगाया गया हो। इससे पहले भी चूहों पर पुलिस द्वारा ज़ब्त किए गए लगभग 10 किलो भांग और 9 किलो गांजा खाने का आरोप लगा था। वह मामला अदालत तक भी गया था जिसने संबंधित अधिकारियों को उनके बेतुके दावे के लिए फटकार लगाई थी।
निजी हाथों में जाएगा दुकानों का प्रबंधन
झारखंड की नई शराब नीति के तहत शराब की दुकानों का प्रबंधन और आवंटन राज्य सरकार के नियंत्रण से हटकर निजी लाइसेंसधारियों के हाथों में चला जाएगा जिनका चयन ऑनलाइन लॉटरी के ज़रिए किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि इस नीति का उद्देश्य रेवेन्यू कलेक्शन में पारदर्शिता बढ़ाना और राज्य पर प्रशासनिक बोझ कम करना है।