Edited By Monika Jamwal,Updated: 10 Aug, 2020 03:27 PM
जम्मू कश्मीर को लेकर 2019 को नरेन्द्र मोदी सरकार ने दो बड़े प्रस्ताव पारित किये। पहला तो जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाया और दूसरा जम्मू कश्मीर को दो हिस्से कर दिये और दो यूनियन टैरेटरी बना दी गई और लद्दाख को अलग कर दिया गया।
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर को लेकर 2019 को नरेन्द्र मोदी सरकार ने दो बड़े प्रस्ताव पारित किये। पहला तो जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाया और दूसरा जम्मू कश्मीर को दो हिस्से कर दिये और दो यूनियन टैरेटरी बना दी गई और लद्दाख को अलग कर दिया गया। इसको लेकर भाजपा और आरएसएस लंबे समय से मांग कर रहे थे। सीधे शब्दों में कहा जाए तो शयामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जन संघ के कार्यकाल से ही इस मांग को लेकर प्रबल थे। यहां तक कि जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को लेकर प्रदर्शन को लेकर उनकी मौत भी कश्मीर की जेल में ही हुई थी।
आर्टिकल 35ए और आर्टिकल 370 जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देता था और यहां तक कि जम्मू कश्मीर का संविधान भी अपना ही था और पिनल कोड भी अपना था। जम्मू कश्मीर के सभी मामले रनबीर पिनल कोडके तहत सुलझाए जाते थे। यह अस्थायी प्रोविजन था पर जम्मू कश्मीर में 70 वर्ष तक रहा पर पिछले वर्ष अमित शाह संसद में बिल पेश कर इसे निरस्त कर दिया। जम्मू कश्मीर की नइ पहचान उसे 31 अक्तूबर 2019 को मिली।
संविधान का आर्टिकल 370 जम्मू कश्मीर में एक आर्डर के तहत 1954 को लागू किया गया था। 1954 में भारतीय संविधान के तहत एक आर्डर निकाला गया जिसमें वो धाराएं और प्रोविजन थे जो जम्मू कश्मीर में लगाए गए थे। इसमें एक आर्टिकल था 35 ए। यह आर्टिकल संविधान के मुख्य रूप में नहीं है पर परिशिष्टों में इसका उल्लेख है। हांलाकि यह जम्मू कश्मीर के संविधान में चित्रित किया गया था। जम्मू कश्मीर को दिये गये आर्टिकल 35 की सबसे बड़ी ताकत यह थी कि वो सरकार को हक देता था कि बाहरी लोगों को संपित्त के अधिकार से वंचित रखे। सिर्फ यही नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर की महिलाएं अपने अधिकार को तभी तक भोग सकती थीं जब तक कि बाहरी राज्य के व्यक्ति से शादी नहीं करती। अगर उनका विवाह राज्य से बाहर होता था तो उनके संपत्ति के व अन्य अधिकार छिन जाते थे।