Air Pollution: दिल्ली-NCR को राहत? ये शहर बना देश का सबसे प्रदूषित, रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

Edited By Updated: 21 Nov, 2025 12:08 PM

relief for delhi ncr this city has become the most polluted in the country

ताजा एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) डेटा के अनुसार, 21 नवंबर 2025 को सुबह 11 बजे रोहतक, हरियाणा दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया। यहां AQI 631 दर्ज किया गया है। इसके बाद नोएडा 600 AQI और ग्रेटर नोएडा 586 AQI के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं। उत्तर...

नेशनल डेस्क: ताजा एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) डेटा के अनुसार, 21 नवंबर 2025 को सुबह 11 बजे रोहतक, हरियाणा दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया। यहां AQI 631 दर्ज किया गया है। इसके बाद नोएडा 600 AQI और ग्रेटर नोएडा 586 AQI के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं। उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अन्य शहरों जैसे नागली बहरामपुर, नई दिल्ली, गाज़ियाबाद, हापुड़, भिवानी, बागपत और बुलंदशहर में भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब दर्ज की गई है।

इसके बाद नोएडा, उत्तर प्रदेश 600 AQI के साथ दूसरे और ग्रेटर नोएडा 586 AQI के साथ तीसरे नंबर पर हैं। नागली बह्रामपुर (575), नई दिल्ली (549), गाज़ियाबाद (548), हापुड़ (542), भिवानी (541), बागपत (537) और बुलंदशहर (537) जैसे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के शहर भी सूची में शामिल हैं।



रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ?
IQAir की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में भारत में PM 2.5 कणों की सांद्रता में 7% की कमी आई है। साल 2023 में यह औसत 54.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी, जो 2024 में घटकर 50.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गई। बावजूद इसके, दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 6 भारत के शहर हैं।


भारत के 13 सबसे प्रदूषित शहर
दुनिया के टॉप 20 प्रदूषित शहरों में 13 शहर भारत के हैं। ये शहर हैं:
अन्य प्रमुख प्रदूषित शहर:
खुरजा: 532
सियाहर: 531
गुरुग्राम: 530
सीवानी: 525
दरियापुर: 505
अलीगढ़: 493
फरीदाबाद: 486
सोनीपत: 481


प्रदूषण से स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण से लोगों के जीवन पर गंभीर असर पड़ रहा है। प्रदूषण के कारण औसतन 5.2 साल जीवन की कमी आ रही है। लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ अध्ययन के मुताबिक, 2009 से 2019 तक हर साल लगभग 15 लाख लोग वायु प्रदूषण से मौत के शिकार हुए।


PM 2.5 क्या है?
PM 2.5 वे सूक्ष्म कण हैं जिनका आकार 2.5 माइक्रोन से भी छोटा होता है। ये कण फेफड़ों और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं और इससे सांस लेने में दिक्कत, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ये कण मुख्यतः वाहन के धुएं, इंडस्ट्रियल उत्सर्जन और लकड़ी या फसल के कचरे जलाने से उत्पन्न होते हैं।

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