दिल्ली छोड़िए, अब पूर्वोत्तर भी नहीं रहा सेफ! हवा हुई बेहद जहरीली, CREA की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

Edited By Updated: 25 Nov, 2025 08:16 PM

india air pollution report crea 2023 health risks deteriorating air quality

भारत में हवा की गुणवत्ता तेजी से खराब हो रही है, खासकर दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों में। CREA की नई रिपोर्ट में बताया गया है कि 749 जिलों में से कोई भी जिले की हवा WHO के मानकों पर खरी नहीं उतरी। देशभर के करीब 60% जिलों में प्रदूषण स्तर बहुत खराब है।...

नेशनल डेस्क : भारत में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है, और यह समस्या अब केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं रही। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। इस समस्या को उजागर करने के लिए सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) ने एक विस्तृत अध्ययन किया है। इस अध्ययन में यह साफ तौर पर सामने आया कि दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर है, जहां PM2.5 कणों का स्तर भारतीय मानकों से ढाई गुना अधिक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से 20 गुना ज्यादा पाया गया है।

CREA रिपोर्ट का मुख्य निष्कर्ष
इस रिसर्च में भारत के 749 जिलों की वायु गुणवत्ता को उपग्रह की मदद से जांचा गया, और परिणाम बेहद चौंकाने वाले रहे। इस विस्तृत जांच में एक भी जिला ऐसा नहीं मिला, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुसार स्वच्छ हवा की श्रेणी में आता हो। लगभग 447 जिले यानी करीब 60 प्रतिशत जिले ऐसे पाए गए जिनकी हवा भारत के राष्ट्रीय मानकों से भी काफी खराब थी। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि देशभर में साफ हवा अब बहुत ही कम जगहों पर मिलती है। यह एक सामान्य संकट बन चुका है, जिसे नजरअंदाज करना अब संभव नहीं।

छोटे राज्यों में भी प्रदूषण की समस्या
इस अध्ययन के अनुसार, प्रदूषण अब छोटे राज्यों में भी तेजी से फैल रहा है। दिल्ली, असम, हरियाणा और बिहार जैसे राज्यों में हवा की गुणवत्ता सबसे खराब पाई गई है। दिल्ली और असम के 11-11 जिले सबसे प्रदूषित जिलों की सूची में शामिल हैं। इसके अलावा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के सभी जिलों की हवा राष्ट्रीय मानक से भी खराब पाई गई। इसका मतलब है कि प्रदूषण अब सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह पहाड़ी इलाकों और उत्तर-पूर्वी राज्यों तक पहुंच चुका है।

बिहार के 38 में से 37 जिलों, गुजरात के 33 में से 32, पश्चिम बंगाल के 23 में से 22, और राजस्थान के 33 में से 30 जिलों में हवा की गुणवत्ता हानिकारक पाई गई है। हालांकि, दक्षिण भारत के राज्य जैसे पुदुचेरी, तमिलनाडु, कर्नाटका, केरल, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना में प्रदूषण की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही है, लेकिन ये स्थिति भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से कई गुना खराब है।

सर्दियों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ता है
रिपोर्ट में मौसम के प्रभाव को भी ध्यान में रखा गया है। सर्दियों के महीनों में जब धुंध और ठंड की वजह से हवा नीचे की ओर रुक जाती है, तो प्रदूषण का स्तर अधिक बढ़ जाता है। इस मौसम में 82 प्रतिशत जिलों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। हालांकि गर्मी में कुछ राहत मिलती है, लेकिन तब भी देश के अधिकतर जिलों में प्रदूषण का स्तर मानक सीमा से ऊपर बना रहता है। मानसून एकमात्र ऐसा मौसम है जब बारिश हवा को थोड़ी राहत देती है, लेकिन जैसे ही बारिश कम होती है, हवा फिर से धुंधली और जहरीली हो जाती है। इस प्रकार, प्रदूषण अब केवल मौसमी संकट नहीं रहा, बल्कि यह अब बारहों महीने लगातार बढ़ता हुआ संकट बन गया है।

इंडो-गैंगेटिक क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर और खराब
रिपोर्ट के एयरशेड विश्लेषण से यह भी सामने आया है कि इंडो-गैंगेटिक क्षेत्र, जिसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब जैसे राज्य शामिल हैं, देश का सबसे प्रदूषित क्षेत्र है। इस क्षेत्र में हवा लंबे समय से भारी प्रदूषण का सामना कर रही है। इसके साथ ही, पूर्वोत्तर के एयरशेड में भी प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में मानसून भी हवा को पूरी तरह साफ नहीं कर पाता है, और वार्षिक तौर पर प्रदूषण बना रहता है। यह इस बात का संकेत है कि इन राज्यों में प्रदूषण के मुख्य स्रोत लगातार सक्रिय हैं, और इन प्रदूषण स्रोतों को कम करने के लिए नीति बदलाव की जरूरत है।

पूरे एयरशेड क्षेत्र के लिए एक नीति की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की गुणवत्ता में सुधार तभी संभव है जब वायु प्रदूषण को एक साझा समस्या के रूप में देखा जाए। केवल बड़े शहरों के भीतर प्रदूषण नियंत्रण की कोशिश नाकाफी है, क्योंकि हवा की कोई सीमाएं नहीं होतीं। प्रदूषण एक जिले से दूसरे जिले, और एक राज्य से दूसरे राज्य में आसानी से फैल सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि पूरे एयरशेड क्षेत्र के लिए एकीकृत नीति बनाई जाए। CREA के विश्लेषक मनोज कुमार के अनुसार, भारत में स्वच्छ हवा की चुनौती को अब सिर्फ शहरों या सर्दियों के दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता, क्योंकि प्रदूषण अब लगभग पूरे देश और पूरे साल भर लोगों को प्रभावित कर रहा है।

फेफड़ों में धीमे जहर जैसी हवा
इस अध्ययन का निष्कर्ष यह है कि भारत की हवा में अब बीमारी घुल चुकी है। लाखों-करोड़ों लोग अब ऐसी हवा में सांस लेने पर मजबूर हैं, जो उनके फेफड़ों के लिए किसी धीमे जहर जैसी है। यह समस्या अब केवल पर्यावरण की चिंता नहीं रही, बल्कि यह मानव जीवन और स्वास्थ्य का केंद्र बिंदु बन चुकी है। अगर आज भी स्वच्छ हवा को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आने वाली पीढ़ियां इस संघर्ष को और भी कठिन रूप में महसूस करेंगी। स्वच्छ और सुरक्षित हवा अब मानव का मूल अधिकार है और इसे बचाने की जिम्मेदारी समाज, सरकार, और उद्योग सभी की है, क्योंकि हवा न किसी शहर की है, न किसी सीमा की, यह सबकी है और यह सबके लिए है।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!