Edited By Radhika,Updated: 22 Nov, 2025 06:29 PM

शपथ ग्रहण समारोह के बाद 21 नवंबर को कैबिनेट मंत्रियों को मंत्रायल का विभाजन कर दिया गया है। इस बार सीएम नीतीश कुमार ने 20 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए गृह मंत्रालय की कमान सम्राट चौधरी को सौंप दी है। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नीतीश कुमार...
नेशनल डेस्क: शपथ ग्रहण समारोह के बाद 21 नवंबर को कैबिनेट मंत्रियों को मंत्रायल का विभाजन कर दिया गया है। इस बार सीएम नीतीश कुमार ने 20 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए गृह मंत्रालय की कमान सम्राट चौधरी को सौंप दी है। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नीतीश कुमार ने 20 सालों में पहली बार गृह विभाग को खुद से अलग किया है, जिसे राज्य में भाजपा (BJP) के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है।

सम्राट चौधरी के सामने बड़ी चुनौती
नीतीश कुमार ने जब 2005 में सत्ता संभाली थी, तब बिहार में अपराध चरम पर था। अपने दो दशक के शासन में उन्होंने भयमुक्त प्रशासन की व्यवस्था बनाने का दावा किया और बड़े अपराधियों पर पुलिस का शिकंजा कस कर हर बड़ी कार्रवाई पर सीधे निगरानी रखी। अब इस कानून-व्यवस्था को बनाए रखने और अपराध पर लगाम लगाने की बड़ी जिम्मेदारी नए गृह मंत्री सम्राट चौधरी के कंधों पर आ गई है।

आपराधिक मामलों को लेकर छिड़ी बहस
सम्राट चौधरी को गृह विभाग की कमान मिलते ही सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छिड़ गई है। यूज़र्स और विरोधी सवाल उठा रहे हैं कि जिस व्यक्ति पर स्वयं आपराधिक केस दर्ज हैं, वह राज्य की कानून-व्यवस्था को कैसे संभाल पाएगा।
2025 के विधानसभा चुनाव में उनके द्वारा दायर चुनावी हलफनामे के अनुसार सम्राट चौधरी पर अभी भी दो आपराधिक मामले पेंडिंग हैं।
- पहला पटना कोतवाली (FIR 516/2023): IPC की धारा 188, 147, 149, 323, 324, 337, 338, 353
- दूसरा तारापुर, मुंगेर (FIR 35/2014): धारा 171F/188
इससे पहले चुनावी प्रचार के दौरान राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी सम्राट चौधरी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे और अब गृह मंत्री बनने के बाद यह मुद्दा फिर से गरमा गया है