Edited By Radhika,Updated: 04 Jul, 2025 01:37 PM

महाराष्ट्र के पालघर ज़िले के वाडा तालुका में बसे नकरपाड़ा और जुगरे पाड़ा गांवों के बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए हर दिन जान हथेली पर रखनी पड़ती है। ये बच्चे स्कूल जाने के लिए बिन पुल वाली, तेज़ बहाव वाली राखड़ी नदी को पार कर पहुंचते हैं। नदी के ऊपर...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के पालघर ज़िले के वाडा तालुका में बसे नकरपाड़ा और जुगरे पाड़ा गांवों के बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए हर दिन जान हथेली पर रखनी पड़ती है। ये बच्चे स्कूल जाने के लिए बिन पुल वाली, तेज़ बहाव वाली राखड़ी नदी को पार कर पहुंचते हैं। नदी के ऊपर बना एक पुराना बांध ही उनके लिए रास्ता है। ये रास्ता बारिश के दौरान ज्यादा खतरनाक हो जाता है।
कंधों पर स्कूल बैग, सपनों के साथ खतरे की राह पर
सुबह-सुबह ये मासूम छात्र कंधे पर बैग लटकाए, एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नदी पार करने निकलते हैं। पानी का बहाव इतना तेज होता है कि एक छोटी सी चूक किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। फिर भी ये बच्चे हर दिन इसी रास्ते से स्कूल जाते हैं क्योंकि यह 2 किलोमीटर का रास्ता सबसे छोटा है।
लंबे रास्ते से बढ़ती है थकान
अगर बच्चे सड़क के रास्ते से जाना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें 5 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। इससे उनका शारीरिक और मानसिक थकान बढ़ता है और वे पढ़ाई में रुचि नहीं ले पाते। यही कारण है कि कई छात्र स्कूल आना बंद कर देते हैं।
पुल की मांग सालों से अनसुनी
स्थानीय लोग और अभिभावकों द्वारा काफी समय से पुल बनाने की डिमांड की जा रही है, लेकिन इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द पुल नहीं बना, तो बच्चों की जान को लगातार खतरा बना रहेगा।
मानसून में बढ़ता है खतरा
बारिश के दिनों में राखड़ी नदी का जलस्तर और बहाव दोनों बहुत बढ़ जाते हैं। ऐसे में बांध पर चलना और भी खतरनाक हो जाता है। कई बार बच्चे पानी में फिसलने से बाल-बाल बचे हैं। यह स्थिति किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रही है।
सरकार और प्रशासन से अपील
ग्रामीणों और शिक्षकों ने प्रशासन और राज्य सरकार से मांग की है कि बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए जल्द से जल्द पुल बनवाया जाए ताकि उन्हें सुरक्षित तरीके से स्कूल जाने का अवसर मिले और उनकी पढ़ाई भी प्रभावित न हो।