भारत के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला का कमाल, स्पेस में 18 दिन में ये 7 जबरदस्त प्रयोग कर बनाई नई मिसाल

Edited By Updated: 19 Jul, 2025 10:19 AM

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भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष में 18 दिन बिताए और इस दौरान कुल 7 महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। वह दूसरे भारतीय हैं जिन्होंने अंतरिक्ष यात्रा पूरी की है। शुभांशु ने इस मिशन में न केवल भारत का नाम रोशन किया...

नेशनल डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष में 18 दिन बिताए और इस दौरान कुल 7 महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। वह दूसरे भारतीय हैं जिन्होंने अंतरिक्ष यात्रा पूरी की है। शुभांशु ने इस मिशन में न केवल भारत का नाम रोशन किया बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान में नई खोजों के लिए भी रास्ता खोला। आइए जानते हैं शुभांशु शुक्ला के ये 7 खास प्रयोग और उनका महत्व।

शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष सफर

25 जून को शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष यात्रा शुरू की। उनके पास 2000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है जिसमें भारत के प्रमुख लड़ाकू विमान Su-30MKI, MiG-21, MiG-29 और डोर्नियर 228 शामिल हैं। 2019 में उन्हें भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया था। 18 दिन बाद उन्होंने सुरक्षित धरती पर वापसी की और इतिहास रच दिया।

7 जबरदस्त प्रयोग और उनका महत्व

1. टार्डिग्रेड्स के जीवित रहने का रहस्य
टार्डिग्रेड्स आठ पैरों वाले सूक्ष्मजीव होते हैं जो अधिक तापमान, रेडिएशन और अंतरिक्ष की सख्त परिस्थितियों में भी जिंदा रह सकते हैं। शुभांशु ने इस छोटे जीव पर अध्ययन किया ताकि वैज्ञानिक अंतरिक्ष में जीवित जीवों को कैसे सुरक्षित रखा जाए इस पर नई रणनीतियां विकसित कर सकें।

2. मांसपेशियों की क्षति पर अध्ययन
लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से एस्ट्रोनॉट्स की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है। इस प्रयोग में यह समझने की कोशिश की गई कि ऐसा क्यों होता है और इसे कैसे रोका जा सकता है ताकि भविष्य के मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों को बेहतर सुरक्षा मिल सके।

3. सलाज के बीजों की बढ़वार
कम गुरुत्वाकर्षण वाली जगह पर सलाज के बीजों को उगाने का प्रयास किया गया। इसका उद्देश्य था अंतरिक्ष मिशन के दौरान टिकाऊ और पोषणयुक्त खाने की व्यवस्था को बेहतर बनाना।

4. सायनोबैक्टीरिया का विकास
सायनोबैक्टीरिया सूक्ष्म जीव होते हैं जो ऑक्सीजन और पोषक तत्व बना सकते हैं। माइक्रोग्रैविटी में इनके विकास का अध्ययन भविष्य के अंतरिक्ष मिशन में जीवन रक्षक प्रणालियों के विकास में मदद करेगा।

5. सूक्ष्म शैवाल में रेडिएशन का असर
कम गुरुत्वाकर्षण में सूक्ष्म शैवाल की वृद्धि पर रेडिएशन के प्रभाव का अध्ययन किया गया। यह फसल उगाने के लिए उपयोगी पोषक तत्व प्रदान करते हैं, इसलिए इस अध्ययन से अंतरिक्ष में खेती की संभावनाओं को समझने में मदद मिलेगी।

6. माइक्रोग्रैविटी में फसल विकास
यह प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में फसल के बीजों के उगने की प्रक्रिया को समझने के लिए किया गया। इससे लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों में खाने की स्थायी व्यवस्था बनाने में सहायता मिलेगी।

7. इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले का उपयोग
अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के दौरान इंसान कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले का कैसे इस्तेमाल करता है, इसे समझने के लिए यह प्रयोग किया गया। इससे अंतरिक्ष में तकनीकी उपकरणों के उपयोग की रणनीतियां विकसित की जा सकेंगी।

शुभांशु शुक्ला के योगदान का महत्व

शुभांशु शुक्ला के ये प्रयोग न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि विश्व स्तर पर भी विज्ञान को नई दिशा देने वाले हैं। इन प्रयोगों से मानव जीवन को अंतरिक्ष में सुरक्षित और टिकाऊ बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही ये अध्ययन भविष्य के लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए जरूरी संसाधनों और तकनीकों को विकसित करने में सहायक होंगे।

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