राज्य स्वयं बना सकेंगे OBC सूची, केंद्र सरकार बहाल करेगी अधिकार

Edited By Seema Sharma,Updated: 05 Aug, 2021 08:54 AM

states will be able to make their own obc list

ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसमें राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ.बी.सी.) सूची बनाने का अधिकार प्रदान किया गया है। सूत्रों ने बताया कि यह विधेयक...

नेशनल डेस्क: ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसमें राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ.बी.सी.) सूची बनाने का अधिकार प्रदान किया गया है। सूत्रों ने बताया कि यह विधेयक पारित कराने के लिए अब संसद में पेश किया जाएगा। 

 

उच्चतम न्यायालय ने 5 मई के अपने बहुमत फैसले की समीक्षा करने  की  केंद्र  की  याचिका खारिज कर दी थी जिसमें यह कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन नौकरियों एवं दाखिले में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े (एस.ई.बी.सी.) को आरक्षण देने का राज्य का अधिकार छीन लेता है। वर्ष 2018 के 102वें संविधान संशोधन अधिनियम में अनुच्छेद 338बी जोड़ा  गया  था जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के ढांचे, कतर्व्य और शक्तियों से संबंधित है जबकि 342ए किसी विशिष्ठ जाति को एस.ई.बी.सी. अधिसूचित करने और सूची में बदलाव करने के संसद के अधिकारों से संबंधित है। 

 

समग्र शिक्षा अभियान मार्च 2026 तक बढ़ा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समग्र शिक्षा अभियान-2.0 को मंजूरी प्रदान कर दी जिस पर लगभग 2.94 लाख करोड़ रुपए की लागत आएगी। सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बैठक में समग्र शिक्षा अभियान को 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक बढ़ाने को मंजूरी प्रदान कर दी गई। प्रधान ने बताया कि समग्र शिक्षा अभियान-2.0 के 2.94 लाख करोड़ राशि में केंद्र का हिस्सा 1.85 लाख करोड़ होगा। इसके दायरे में सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त 11.6 लाख स्कूल, 15.6 करोड़ बच्चे और 57 लाख शिक्षक आएंगे। 

 

स्पैशल फास्ट ट्रैक कोर्ट योजना भी 2 वर्ष के लिए बढ़ाई
मंत्रिमंडल ने त्वरित निपटान विशेष अदालत (स्पैशल फास्ट ट्रैक कोर्ट) की केंद्र-प्रायोजित योजना को आगामी 2 वर्ष और 31 मार्च 2023 तक जारी रखने को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके तहत 1023 त्वरित निपटान विशेष अदालतों को 2 वर्ष का विस्तार मिलेगा। इनमें बच्चों को यौन अपराध से सुरक्षा अधिनियम (पोक्सो) संबंधी 389 विशिष्ट अदालतें भी शामिल हैं। इस पर 1572.86 करोड़ रुपए व्यय होंगे।

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