चुनावों से पहले महिला वोटर्स को लुभाने की तैयारी, 1 लाख करोड़ खर्च करेंगे 18 राज्य

Edited By Updated: 27 Jun, 2025 07:20 PM

preparations to woo women voters before elections

देश में चुनावी साल के दौरान 'रेवड़ी' संस्कृति एक बार फिर से चर्चा में है। क्रिसिल रेटिंग्स की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में भारत के शीर्ष 18 राज्य महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर करीब 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रहे हैं। यह खर्च राजस्व...

नेशनल डेस्क: देश में चुनावी साल के दौरान 'रेवड़ी' संस्कृति एक बार फिर से चर्चा में है। क्रिसिल रेटिंग्स की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में भारत के शीर्ष 18 राज्य महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर करीब 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रहे हैं। यह खर्च राजस्व व्यय के तहत होगा और इसका सीधा असर राज्यों के पूंजीगत खर्च (capital expenditure) पर पड़ सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025-26 तक सामाजिक योजनाओं पर खर्च सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का लगभग 2% हो सकता है। जबकि पहले यह आंकड़ा 1.4% से 1.6% के बीच रहता था। अब इसका सीधा संबंध आगामी राजस्व घाटे (revenue deficit) में इजाफे से जोड़ा जा रहा है।

इन योजनाओं में महिलाओं, बच्चों, पिछड़े वर्गों, श्रमिकों और पेंशनधारकों के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) प्रमुख साधन बना हुआ है। क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि इस बार कुल 2.3 लाख करोड़ रुपए सामाजिक कल्याण पर खर्च होंगे, जिसमें अकेले महिलाओं के लिए दी जा रही चुनावी डीबीटी योजनाओं का हिस्सा 1 लाख करोड़ रुपए होगा।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर इस ट्रेंड पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में राज्यों की वित्तीय हालत पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। खास बात यह है कि जो राज्य इन योजनाओं से चुनाव जीतते हैं, उनके नक्शेकदम पर दूसरे राज्य भी चलते हैं, जिससे यह चलन और गहराता जा रहा है।

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