बच्चा पैदा करो, सरकार से पाओ ₹1.26 लाख!

Edited By Updated: 05 Jul, 2025 10:51 AM

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चीन इन दिनों एक गंभीर जनसांख्यिकीय संकट से गुजर रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी का खिताब गंवा चुका यह देश अब घटती जनसंख्या को थामने के लिए हर मुमकिन कोशिश में जुटा है। बच्चों के जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए अब चीनी सरकार ने एक नई योजना का ऐलान...

इंटरनेशनल डेस्क:  चीन इन दिनों एक गंभीर जनसांख्यिकीय संकट से गुजर रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी का खिताब गंवा चुका यह देश अब घटती जनसंख्या को थामने के लिए हर मुमकिन कोशिश में जुटा है। बच्चों के जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए अब चीनी सरकार ने एक नई योजना का ऐलान किया है, जिसमें माता-पिता को आर्थिक सहायता दी जाएगी। सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से परिवारों को संतानोत्पत्ति के लिए प्रेरित किया जा सकेगा।

नई स्कीम में क्या मिलेगा?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन सरकार 1 जनवरी 2025 से जन्म लेने वाले हर बच्चे के लिए माता को तीन साल तक हर साल 3,600 युआन (करीब ₹42,000) की आर्थिक मदद देगी। इस तरह कुल सहायता राशि करीब ₹1.26 लाख होगी। हालांकि, इस योजना की आधिकारिक पुष्टि अब तक स्टेट काउंसिल इंफॉर्मेशन ऑफिस द्वारा नहीं की गई है।

इसके अलावा, स्थानीय सरकारें भी अपनी-अपनी योजनाएं लेकर सामने आ रही हैं। उदाहरण के तौर पर, इनर मंगोलिया के होहोट शहर में दूसरे बच्चे पर 50,000 युआन और तीसरे बच्चे पर 1 लाख युआन की पेशकश की जा रही है।

जनसंख्या में लगातार गिरावट
रॉयटर्स की रिपोर्ट बताती है कि 2024 में चीन की जनसंख्या 1.409 बिलियन से घटकर 1.408 बिलियन रह गई है। 2022 में चीन की जनसंख्या में 60 वर्षों बाद पहली बार गिरावट दर्ज की गई थी, और यह सिलसिला अब भी जारी है।

चीन में एक समय लागू रही कुख्यात 'वन चाइल्ड पॉलिसी' को अब थ्री-चाइल्ड पॉलिसी से बदल दिया गया है, लेकिन इसका असर अपेक्षित नहीं रहा। परिवारों को बड़ी चिंता इस बात की है कि बढ़ती महंगाई और जीवनशैली के खर्चों के बीच वे बच्चों का लालन-पालन कैसे करेंगे।

सर्वे में मिले चौंकाने वाले नतीजे
हाल ही में चीन में 1.44 लाख माता-पिता पर किए गए एक सर्वे में सामने आया कि केवल 15% लोग ही ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए इच्छुक हैं। जब इन्हें आर्थिक मदद के तौर पर 1,000 युआन की पेशकश की गई, तब भी यह आंकड़ा 8.5% ही बढ़ा। यानी, सरकार की आर्थिक सहायता से कुछ असर जरूर दिख रहा है, लेकिन यह बेहद सीमित है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का हल केवल आर्थिक सहायता से नहीं निकल सकता। इसके लिए दीर्घकालिक सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बदलाव ज़रूरी हैं।

अन्य देश भी इसी संकट से जूझ रहे
गिरती जनसंख्या दर की चुनौती केवल चीन तक सीमित नहीं है। दक्षिण कोरिया में एक साल से कम उम्र के बच्चों वाले परिवारों को मासिक सब्सिडी 700,000 से बढ़ाकर 1 मिलियन KRW कर दी गई, जिससे पहली बार 3.1% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं जापान में सरकार ने चाइल्ड केयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 2005 से हजारों डे-केयर सेंटर शुरू किए, जिससे प्रजनन दर में मामूली सुधार देखा गया।

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