HIV और कैंसर मरीजों को राहत: दवाओं पर भारी छूट की तैयारी, करोड़ों का इलाज होगा सस्ता

Edited By Updated: 11 Jul, 2025 11:12 AM

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गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लाखों मरीजों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार की एक विशेष अंतर-विभागीय समिति ने कैंसर, एचआईवी, ट्रांसप्लांट, हेमेटोलॉजी और दुर्लभ रोगों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली करीब 200 महंगी दवाओं पर कस्टम ड्यूटी में...

नई दिल्ली: गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लाखों मरीजों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार की एक विशेष अंतर-विभागीय समिति ने कैंसर, एचआईवी, ट्रांसप्लांट, हेमेटोलॉजी और दुर्लभ रोगों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली करीब 200 महंगी दवाओं पर कस्टम ड्यूटी में भारी छूट देने की सिफारिश की है। इस कदम से इलाज की लागत में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है और यह उन हजारों परिवारों के लिए वरदान साबित हो सकता है, जो अब तक केवल इलाज के खर्च के कारण जीवन रक्षक दवाओं से वंचित थे।

किन दवाओं पर मिलेगी राहत?
सरकारी पैनल की रिपोर्ट के अनुसार: 69 दवाओं पर पूर्ण कस्टम शुल्क छूट की सिफारिश की गई है। इनमें शामिल हैं:

पेम्ब्रोलिज़ुमैब (Keytruda) – फेफड़ों और त्वचा के कैंसर के लिए
ओसिमर्टिनिब (Tagrisso) – एडवांस्ड लंग कैंसर में प्रभावी
ट्रास्टुज़ुमैब डेरुक्सटेकन (Enhertu) – स्तन कैंसर के इलाज में उपयोगी
ये दवाएं लाखों रुपये प्रति डोज में आती हैं और अब तक भारी आयात शुल्क के कारण मरीजों की पहुंच से बाहर थीं।

74 दवाओं पर 5% कस्टम ड्यूटी लागू करने की सिफारिश की गई है। इनमें शामिल हैं:
हाइड्रॉक्सी यूरिया
– सिकल सेल एनीमिया और कुछ प्रकार के कैंसर में दी जाती है
Enoxaparin (लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन) – रक्त के थक्कों और डीप वेन थ्रोम्बोसिस की रोकथाम में अहम भूमिका निभाती है

रेयर डिजीज के मरीजों के लिए बड़ी राहत
पैनल की रिपोर्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दुर्लभ बीमारियों (रेयर डिजीज) पर केंद्रित है, जिनके इलाज की लागत करोड़ों में होती है और जिनके लिए भारत में सीमित विकल्प उपलब्ध हैं।

56 दवाओं को एक अलग सूची में शामिल किया गया है, जिन पर पूर्ण कस्टम ड्यूटी छूट की सिफारिश की गई है। इनमें शामिल हैं:

Zolgensma – स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का इलाज (1 डोज़ की कीमत 16-18 करोड़ रुपये)

Spinraza और Evrysdi – न्यूरोमस्कुलर रोगों में उपयोगी

Cerezyme और Takhzyro – दुर्लभ आनुवंशिक और एंजाइम संबंधित बीमारियों में दी जाती हैं
ये उपचार जीन थेरेपी और एंजाइम रिप्लेसमेंट पर आधारित हैं, और दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में शुमार हैं।

पैनल कौन है और उद्देश्य क्या है?
इस रिपोर्ट को तैयार करने वाला पैनल अगस्त 2024 में केंद्र सरकार द्वारा गठित किया गया था। इसका नेतृत्व ज्वाइंट ड्रग कंट्रोलर आर. चंद्रशेखर कर रहे हैं।

पैनल में शामिल संस्थाएं:
ICMR (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद)
DGHS (स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय)
फार्मास्यूटिकल्स विभाग

इसका उद्देश्य है कि गंभीर और जीवन रक्षक उपचारों की लागत भारत में आम मरीजों के लिए सस्ती बनाई जाए और आयातित दवाओं पर निर्भरता के कारण उत्पन्न आर्थिक दबाव को कम किया जाए।

क्या होगा आगे का रास्ता?
यह समिति अब सरकार से अनुरोध कर रही है कि इसके सुझावों को लागू करने के लिए राजस्व विभाग के साथ समन्वय किया जाए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि DGHS के अंतर्गत एक स्थायी इंटरडिपार्टमेंटल कमेटी बनाई जाए, जो भविष्य में ऐसी दवाओं की समीक्षा करती रहे और नियमित रूप से कस्टम ड्यूटी में छूट से जुड़े सुझाव देती रहे।

मरीजों और परिवारों को क्या मिलेगा फायदा?
-दवाओं पर कस्टम ड्यूटी में छूट का सीधा असर दवाओं की मार्केट कीमत पर पड़ेगा।
-मरीजों को लाखों की जगह अब हजारों में इलाज मिल सकता है।
-रेयर डिजीज और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे परिवारों पर आर्थिक बोझ में कमी आएगी।
-आयातित उन्नत डायग्नोस्टिक और ट्रांसप्लांट मेडिसिन भी अब ज्यादा सुलभ और किफायती हो सकेंगी।

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