भारत बन सकता है ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का अगला केंद्र: आनंद महिंद्रा

Edited By Updated: 30 Jun, 2025 05:41 PM

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महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने हाल ही में अपनी कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में एक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापारिक अस्थिरता के इस दौर में भारत के पास एक सुनहरा अवसर है कि वह खुद को विश्व व्यापार का नया केंद्र बना...

नेशनल डेस्क: महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने हाल ही में अपनी कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में एक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापारिक अस्थिरता के इस दौर में भारत के पास एक सुनहरा अवसर है कि वह खुद को विश्व व्यापार का नया केंद्र बना सके। आनंद महिंद्रा के मुताबिक, आज की दुनिया भूराजनैतिक तनाव, उच्च टैरिफ और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं से जूझ रही है। ऐसे में भारत उन देशों में शामिल हो सकता है जो दुनिया को एक स्थिर, भरोसेमंद और प्रतिस्पर्धी विकल्प दे सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की रफ्तार हो रही धीमी

रिपोर्ट के अनुसार, अनिश्चितता, राजनीतिक अस्थिरता और निवेशकों के घटते विश्वास के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की गति पहले ही धीमी हो चुकी है। महिंद्रा ने बताया कि दुनियाभर में संरक्षणवाद (Protectionism) का चलन बढ़ रहा है। अमेरिका के ट्रंप प्रशासन के दौरान लगे टैरिफ इसका उदाहरण हैं। इसके चलते कई देशों ने जवाबी शुल्क, आपूर्ति में रुकावट और नए राजनीतिक व आर्थिक गुटों का निर्माण शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा “हालांकि अमेरिका अब चीन और UK जैसे देशों के साथ रणनीतिक समझौते कर रहा है, फिर भी अमेरिका-चीन संबंधों में टकराव की संभावना बनी हुई है।”

आपूर्ति श्रृंखला का बदलाव और भारत की भूमिका

वैश्विक व्यापार में सबसे अधिक झटका कंज्यूमर गुड्स और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों को लगा है, जो चीन पर भारी रूप से निर्भर हैं। इन क्षेत्रों में इनपुट कॉस्ट बढ़ गई है और सप्लाई बाधित हुई है। आनंद महिंद्रा का मानना है कि अब वक्त आ गया है जब देश अपनी सोर्सिंग रणनीतियों में विविधता लाएं और भारत इस बदलाव का नेतृत्व कर सकता है। उन्होंने कहा, "चीन पर बढ़ते प्रतिबंधों और टैरिफ के कारण भारत के पास खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने का मौका है। अगर हम नवाचार, अनुसंधान और मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित करें तो भारतीय वस्तुओं के लिए नए बाजार खुल सकते हैं।"

तेज गति और निवेश की जरूरत

हालांकि अवसर बड़ा है, लेकिन उसे पकड़ने के लिए भारत को तेज और निर्णायक कदम उठाने होंगे।
आनंद महिंद्रा ने कहा "फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश पहले से ही अपनी छवि एक भविष्य के विनिर्माण केंद्र के रूप में बना रहे हैं। ऐसे में भारत को भी तेज़ी दिखानी होगी। इसके लिए जरूरी है कि हम मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान दें और निजी निवेश को बढ़ावा दें।"

नई उभरती हुई इंडस्ट्रीज़ में भारत की पकड़

महिंद्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत को केवल पारंपरिक उद्योगों पर नहीं, बल्कि नवाचार, रक्षा, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और नवीन ऊर्जा क्षेत्रों में भी निवेश करना चाहिए। ये सेक्टर भविष्य में भारत को वैश्विक मंच पर नई ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि कंपनियों को अपने राष्ट्रीय उद्देश्यों के साथ तालमेल बैठाकर रणनीति बनानी चाहिए, जिससे भारत को अधिकतम लाभ मिल सके।
अपने संबोधन के अंत में आनंद महिंद्रा ने भारत की सबसे बड़ी ताकतों पर जोर दिया। उन्होंने कहा “भारत एक स्थिर लोकतंत्र है। हमें एक भरोसेमंद भागीदार माना जाता है और हमारे पास एक मजबूत, गैर-राजनीतिक सेना है। ये सभी गुण भारत को गुरुत्वाकर्षण के नए केंद्र के रूप में उभार सकते हैं।”

 

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