Edited By Yaspal,Updated: 03 Sep, 2024 06:14 AM
भारत के सुमित अंतिल ने पेरिस पैरालंपिक गेम्स 2024 (Paralympic Games 2024) में जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता है। इसके साथ ही भारत के तीन गोल्ड मेडल हो गए हैं। अंतिल ने पैरालंपिक गेम्स में लगातार दूसरी बार गोल्ड जीता है
पेरिसः जेवलिन थ्रो स्टार सुमित अंतिल पैरालम्पिक में अपना खिताब बरकरार रखने वाले पहले भारतीय पुरूष और दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए जब उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में एफ64 वर्ग में रिकॉर्ड 70.59 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता। सोनीपत के 26 वर्ष के विश्व रिकॉर्डधारी सुमित ने अपना ही 68.55 मीटर का पैरालंपिक रिकॉर्ड बेहतर किया जो उन्होंने तीन साल पहले तोक्यो में बनाया था। उनका विश्व रिकॉर्ड 73.29 मीटर का है।
फाइनल में सुमित अंतिल का प्रदर्शन:
पहला थ्रो- 69.11 मीटर
दूसरा थ्रो- 70.59 मीटर
तीसरा थ्रो- 66.66 मीटर
चौथा थ्रो- फाउल
पांचवां थ्रो- 69.04 मीटर
छठा थ्रो- 66.57 मीटर
इससे पहले निशानेबाज अवनि लेखरा अपना पैरालम्पिक खिताब बरकरार रखने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी। F64 वर्ग में वे खिलाड़ी होते हैं जिनके पैरों में विकार होता है। वे या तो कृत्रिम पैर के साथ खेलते हैं या उनके पैरों की लंबाई में फर्क होता है। तीसरे गोल्ड मेडल के साथ ही भारत पदक तालिका में 14वें नंबर पर पहुंच गया है। इनमें तीन गोल्ड, 5 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं।
सुमित अंतिल ने इस मुकाबले में अपना ही पैरालंपिक रिकॉर्ड तोड़ा। उन्होंने पहले प्रयास में 69.11 मीटर का थ्रो किया, जो नया पैरालंपिक रिकॉर्ड रहा। इसके बाद दूसरे प्रयास में उन्होंने 70.59 मीटर भाला फेंककर फिर एक बार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा। सुमित ने टोक्यो पैरालंपिक में भी गोल्ड मेडल जीता था।
जब ट्रक हादसे में सुमित ने गंवा दिया पैर
हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले सुमित अंतिल का जन्म 7 जून 1998 को हुआ था। सुमित जब सात साल के थे, तब एयरफोर्स में तैनात पिता रामकुमार की बीमारी से मौत हो गई थी। पिता का साया उठने के बाद मां निर्मला ने हर दुख सहन करते हुए चारों बच्चों का पालन-पोषण किया। 12वीं में पढ़ाई के दौरान सुमित के साथ भयानक हादसा हुआ। 5 जनवरी 2015 की शाम को वह ट्यूशन लेकर बाइक से वापस आ रहे था, तभी सीमेंट के कट्टों से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली ने सुमित को टक्कर मार दी और काफी दूर तक घसीटते ले गई।
इस हादसे में सुमित को अपना एक पैर गंवाना पड़ा। हादसे के बावजूद सुमित कभी उदास नहीं हुए। रिश्तेदारों व दोस्तों की प्रेरणा से सुमित ने खेलों की तरफ ध्यान दिया और साई सेंटर पहुंचे। जहां एशियन रजत पदक विजेता कोच वींरेंद्र धनखड़ ने सुमित का मार्गदर्शन किया और उसे लेकर दिल्ली पहुंचे। यहां द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच नवल सिंह से जैवलिन थ्रो के गुर सीखे।