Edited By Shubham Anand,Updated: 06 Oct, 2025 03:13 PM

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की बेंच में सोमवार को एक वकील ने अचानक हंगामा शुरू कर दिया और जूता फेंकने की कोशिश की। सुरक्षा ने वकील को हिरासत में लिया। यह घटना अदालत की अवमानना के तहत आती है। Contempt of Courts Act, 1971 के अनुसार...
नेशनल डेस्क : सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब एक वकील ने कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई की बेंच में सुनवाई के दौरान यह वकील अचानक उग्र हो गया और गुस्से में अपना जूता निकालकर CJI पर फेंकने की कोशिश की। इस घटना से कोर्ट रूम में हलचल मच गई। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए वकील को हिरासत में ले लिया और उसे कोर्ट रूम से बाहर ले जाया गया।
कोर्ट की अवमानना के तहत होगी कार्रवाई
यह घटना कोर्ट की मर्यादा को भंग करने वाली मानी जा रही है, और अब वकील के खिलाफ अदालत की अवमानना (Contempt of Court) के तहत सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है। भारत के कानून के अनुसार, Contempt of Courts Act, 1971 के तहत कोई भी व्यक्ति जो कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाए, अपमानजनक व्यवहार करे या न्याय प्रक्रिया में बाधा डाले, उसे दंडित किया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत सुप्रीम कोर्ट को अपने अपमान से जुड़े मामलों में स्वतः कार्रवाई करने का अधिकार है।
क्या हो सकती है सजा?
वकील का यह कृत्य क्रिमिनल कंटेम्प्ट की श्रेणी में आता है, क्योंकि उसने कोर्ट के अंदर हंगामा किया और जज के प्रति अपमानजनक व्यवहार प्रदर्शित किया। Contempt of Courts Act, 1971 के तहत दोषी व्यक्ति को अधिकतम 6 महीने की साधारण कैद, 2000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं। हालांकि, कानून में एक राहत का प्रावधान भी है। अगर आरोपी अपनी गलती स्वीकार कर ले और कोर्ट से सच्चे मन से माफी मांगे, तो अदालत सजा को कम कर सकती है या पूरी तरह रद्द भी कर सकती है। लेकिन अगर कोर्ट को लगता है कि यह हरकत जानबूझकर की गई है और माफी केवल दिखावा है, तो सख्त सजा तय मानी जाती है।