Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Aug, 2019 12:07 PM
भाजपा की सशक्त महिला नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मंगलवार रात को हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गईं। वे हमेशा हमारी स्मृतियों में रहेंगी। उनके भाषण देनी की क्षमता और शब्दों का सही इस्तेमाल करने की कला
नई दिल्ली: भाजपा की सशक्त महिला नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मंगलवार रात को हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गईं। वे हमेशा हमारी स्मृतियों में रहेंगी। उनके भाषण देनी की क्षमता और शब्दों का सही इस्तेमाल करने की कला का हर कोई कायल था। जब वे बोलती थीं तो सब उनको सुनते ही थे। संसद में ऐसा कोई नहीं होता था जो उनके बयान पर मेंज नहीं थपथपाता था। आज 2013 का वो पल याद आ रहा है जब संसद में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सुषमा स्वराज के बीच शायराना जुगलबंदी हुई थी। इस शायराना जुगलबंदी से संसद ठहाकों से गूंज उठी थी।
दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शायराना अंदाज में भाजपा पर निशाना साधा था और सुषमा ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया था। भाजपा पर प्रहार करते हुए मनमोहन सिंह ने शेर पढ़ा था- हमें है उनसे वफा की उम्मीद जो नहीं जानते वफा क्या है। इस पर सुषमा ने कहा कि वे इसका जवाब दो शायरी से देंगी। इस पर तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने भी चुटकी ली कि फिर तो उन पर (मनमोहन सिंह पर) उधार हो जाएगा। इस पर सब हं पड़े।
सुषमा स्वराज ने मनमोहन सिंह को कुछ इस अंदाज से जवाब दिया था- कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता । वहीं दूसरा उन्होंने सनाया था- तुम्हें वफा याद नहीं हमें जफा याद नहीं जिंदगी और मौत के दो ही तराने हैं एक तुम्हें याद नहीं, एक हमें याद नहीं। इस पर पूरी संसद ने ठहाके लगाए और सभी ने मेजें थपथपाई थीं। सुषमा स्वराज का दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार रात एम्स में 67 साल की उम्र में निधन हो गया। खराब स्वास्थ्य के कारण सुषमा ने लोकसभा चुनाव 2019 लड़ने से इनकार कर दिया था।