Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 02 Aug, 2025 03:15 PM

बिहार की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने खुद सामने आकर यह दावा किया कि उनका नाम नई मतदाता सूची से हटा दिया गया है। यह खबर सामने आते ही सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।...
नेशनल डेस्क: बिहार की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने खुद सामने आकर यह दावा किया कि उनका नाम नई मतदाता सूची से हटा दिया गया है। यह खबर सामने आते ही सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाते हुए कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने बताया कि उन्होंने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान अपना फॉर्म भरकर बूथ लेवल ऑफिसर को सौंपा था। इसके बावजूद जब उन्होंने नई मतदाता सूची में अपना नाम चेक किया तो ‘No Record Found’ का मैसेज मिला। तेजस्वी ने सवाल उठाया कि अगर उनका नाम सूची में नहीं है तो वे आगामी चुनाव कैसे लड़ेंगे? तेजस्वी ने बताया कि उन्होंने अपने EPIC (Voter ID) नंबर से भी नाम खोजने की कोशिश की, लेकिन कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। इससे यह साफ होता है कि उनका नाम मतदाता सूची से पूरी तरह हटा दिया गया है।
चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग इस बार पारदर्शिता नहीं बरत रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग ने जो ड्राफ्ट लिस्ट जारी की है, उसमें न तो मतदाताओं का पूरा पता दिया गया है, न बूथ नंबर और न ही ईपीआईसी संख्या। इससे यह जान पाना मुश्किल हो गया है कि किन-किन लोगों के नाम हटाए गए हैं।
क्या टारगेट किया गया है कुछ खास लोगों को?
तेजस्वी का कहना है कि यह सामान्य प्रक्रिया नहीं लगती बल्कि आयोग की तरफ से "टारगेटेड एक्शन" लिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि न केवल उनका बल्कि उनके स्टाफ के एक सदस्य का नाम भी मतदाता सूची से हटा दिया गया है। तेजस्वी ने बताया कि इस बार बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत लगभग 65 लाख वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। यह कुल मतदाताओं का करीब 8.5 प्रतिशत हिस्सा है। तेजस्वी ने सवाल उठाया कि क्या इन सभी लोगों को नाम हटाने से पहले कोई नोटिस दिया गया था? राजद नेता ने कहा कि आयोग अपने विज्ञापनों में बताता है कि कितने वोटर मृत घोषित किए गए हैं, कितने डुप्लिकेट हैं और कितने स्थानांतरित हुए हैं। लेकिन इस बार की सूची में जानबूझकर उन सूचनाओं को छिपाया गया है जिनसे पता चल सके कि किनका नाम हटाया गया है।
आगे क्या कदम उठाएंगे तेजस्वी?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी ने संकेत दिया कि वे इस मामले को लेकर आगे कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं और चुनाव आयोग से औपचारिक रूप से जवाब मांगेंगे। उन्होंने जनता से भी अपील की कि वे अपना नाम मतदाता सूची में चेक करें और अगर नाम नहीं है तो संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।
क्या कहता है नियम?
भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से तभी हटाया जा सकता है जब वह मृत हो, स्थानांतरित हो गया हो या उसका नाम डुप्लिकेट हो। ऐसे में तेजस्वी यादव का नाम हटना नियमों के विरुद्ध माना जा सकता है अगर उपरोक्त तीनों में से कोई स्थिति उनके साथ लागू नहीं होती।