क्या आप जानते हैं टेरिटोरियल आर्मी क्या है?

Edited By ,Updated: 09 Oct, 2015 05:04 PM

territorial army training

अगर आप में भी देश के लिए कुछ करने का जज्बा है और किसी वजह के कारण आप सेना में भर्ती नहीं हो सके तो प्रादेशिक सेना आपके लिए बेहतर है।

जालंधरः अगर आप में भी देश के लिए कुछ करने का जज्बा है और किसी वजह के कारण आप सेना में भर्ती नहीं हो सके तो प्रादेशिक सेना आपके लिए बेहतर है। 

9 अक्तूबर का दिन प्रादेशिक सेना यानी टेरिटोरियल आर्मी के नाम से मनाया जाता है। प्रादेशिक सेना देश के युवकों को यह अवसर देती है कि वह राष्ट्र सेवा कर सके। देश के आम नागरिक रहते हुए भी सैनिक की भूमिका निभा सकते हैं। प्रादेशिक सेना में भर्ती होने के लिए आपको मैडीकल फिटनैस की आवश्यकता है। परंतु यह मौका केवल भारतीय पुरुषों और पूर्व सर्विस अफसरों तक ही सीमित है। 

प्रादेशिक सेना की स्थापना 
प्रादेशिक सेना की स्थापना 9 अक्तूबर 1949 को हुई। इस सेना में करीब 40,000 जवान शामिल हैं। यह आर्मी युद्ध के समय पुलों और सामान आदि की रक्षा में काम करती है।

चयन प्रक्रिया
नागरिक पुरुष आवेदक की स्क्रीनिंग प्रीलिमिनरी इंटरव्यू बोर्ड (पीआईबी) विभिन्न टीए ग्रुप हैडक्वार्टर्स करते हैं। अपनी सारी जानकारी पीआई के सफल कैंडीडेट को देनी होती है। इसमें आपको केंद्र सरकार, अर्ध सरकारी, प्राइवेट फर्म, अपने व्यवसाय की सूचना देनी पड़ती है। यहां के सफल उम्मीदवार को सर्विस सलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) व मैडीकल की स्क्रीनिंग पार करनी होती है। पूर्व सैन्य अफसरों की स्क्रीनिंग आर्मी हैडक्वार्टर सलैक्शन बोर्ड द्वारा होती है। सफल उम्मीदवार को केवल मैडीकल बोर्ड की प्रक्रिया से गुजरना होता है।

ट्रेनिंग की प्रक्रिया 
बटालियन मिलने के बाद तुरंत एक माह की 'रिक्रूट ट्रेनिंग' दी जाती है। कमीशन प्राप्त होने के बाद 'पोस्ट कमीशन ट्रेनिंग' से पहले 3 माह की 'बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग’ मिलती है। यह प्रशिक्षण 'टीए ट्रेनिंग स्कूल' में दिया जाता है। 'बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग' के बाद 3 माह की 'पोस्ट कमीशन ट्रेनिंग' दी जाती है। बाद के वर्षों में 2 माह का वार्षिक 'ट्रेनिंग कैंप' लगता है।

प्रादेशिक सेना क्या है
प्रादेशिक सेना एक स्वैच्छिक पार्टटाईम नागरिक सेवा है। नियमित भारतीय सेना के बाद यह हमारी रक्षापंक्ति की दूसरी सेना है। यह भारत के आम नागरिकों के लिए सेना को शौकिया अपनाने का जरिया है। प्रादेशिक सेना के लिए यह अवधारणा काम करती है कि युद्ध के समय तैनाती के लिए इसका उपयोग हो सकेगा। नियमित सेना के संसाधनों के पूरक के रूप में समाज के हर क्षेत्र से इच्छुक, अनुशासित व समर्पित नागरिकों को लेकर, कम लागत वाली इस सेना की तैयारी होती है। प्रादेशिक सेना में शामिल होने वाले नागरिकों को थोड़े समय के लिए कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वह सक्षम सैनिक बन सकें।

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