Edited By Anu Malhotra,Updated: 02 Dec, 2025 12:44 PM

भारत में सरकारी बैंकों में एक और बड़ा बदलाव आने वाला है। केंद्र सरकार बैंकों के विलय की योजना पर तेजी से काम कर रही है, जिसका असर लाखों खाताधारकों और करीब 2,29,800 कर्मचारियों पर पड़ सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि इस कदम का मकसद...
नेशनल डेस्क: भारत में सरकारी बैंकों में एक और बड़ा बदलाव आने वाला है। केंद्र सरकार बैंकों के विलय की योजना पर तेजी से काम कर रही है, जिसका असर लाखों खाताधारकों और करीब 2,29,800 कर्मचारियों पर पड़ सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि इस कदम का मकसद एक मजबूत और ग्लोबल स्तर का बैंकिंग नेटवर्क तैयार करना है, लेकिन कर्मचारियों और शाखाओं के स्तर पर चुनौतियां भी सामने आएंगी।
सरकारी अधिकारियों का दावा है कि कर्मचारियों की नौकरियां सुरक्षित रहेंगी, लेकिन जब छोटे बैंकों को बड़े बैंकों में मर्ज किया जाएगा, तो कई शाखाओं को बंद करना पड़ सकता है। इसके साथ ही एक ही तरह के काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या बढ़ने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे प्रमोशन, सैलरी वृद्धि और ट्रांसफर की संभावना प्रभावित होगी। छोटे बैंक बंद होने से नए कर्मचारियों के लिए रोजगार के अवसर भी सीमित हो सकते हैं।
कौन-कौन से बैंक होंगे विलय में शामिल
सूत्रों के अनुसार इस विलय में Indian Overseas Bank, Central Bank of India, Bank of India, Bank of Maharashtra, UCO Bank और Punjab and Sindh Bank जैसे पब्लिक सेक्टर के छोटे बैंक शामिल हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट में भी छोटे बैंकों के विलय या निजीकरण का विकल्प सुझाया गया था।
इन बैंकों को मिलाकर बनाया जाएगा बड़ा बैंक
केंद्र सरकार की योजना के अनुसार, Canara Bank और Union Bank को मिलाकर एक बड़ा बैंक बनाया जाएगा। इसके अलावा इंडियन बैंक और यूको बैंक को भी एकीकृत करने पर विचार किया जा रहा है। इसी तरह, Indian Overseas Bank को SBI या PNB में मर्ज किया जा सकता है, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को PNB या बैंक ऑफ बड़ौदा में शामिल किया जा सकता है, जबकि बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को क्रमशः SBI या PNB/BoB में विलय किया जा सकता है। पंजाब एंड सिंध बैंक पर फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
बैंकिंग सेक्टर में मर्जर का उद्देश्य
सरकार के अनुसार यह कदम बैंकिंग सेक्टर को पैमाने पर बड़ा और अधिक सक्षम बनाने के लिए उठाया जा रहा है। बड़े बैंक की पूंजी मजबूत होगी, क्रेडिट देने की क्षमता बढ़ेगी और एनपीए कम होंगे। इससे बैंकिंग सिस्टम अधिक विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी बनेगा। वित्त मंत्री का कहना है कि भारत में वर्ल्ड-क्लास बैंक बनाने के लिए यह मर्जर जरूरी है।
सरकारी बैंकों का यह पहला मर्जर नहीं है। 2017 से 2020 के बीच कई बैंकों का विलय हुआ और संख्या 27 से घटकर 12 हो गई। नए प्लान के अनुसार साल 2027 तक सरकारी बैंकों की संख्या केवल चार तक सीमित रह जाएगी:
-स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)
-पंजाब नेशनल बैंक (PNB)
-बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB)
-Canara-Union Bank का नया एकीकृत बैंक
इस परिवर्तन के बाद भारतीय बैंकिंग सिस्टम एक नए आकार और ताकत के साथ सामने आएगा, लेकिन कर्मचारियों और ग्राहकों को नए बदलावों के अनुकूल ढलने के लिए तैयार रहना होगा।