उत्तर प्रदेश महिलाओं को जो अधिकार अब दे रहा है, वह तमिलनाडु ने 35 साल पहले ही दे दिए: द्रमुक

Edited By Updated: 11 Sep, 2025 11:50 AM

the rights that uttar pradesh is giving to women now were given by tamil nadu 35

तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश की आलोचना करते हुए कहा कि वह अब विवाहित बेटियों को उनके पिता की कृषि भूमि में समान अधिकार देने पर विचार कर रहा है, जबकि 35 साल पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री एम....

नेशनल डेस्क: तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश की आलोचना करते हुए कहा कि वह अब विवाहित बेटियों को उनके पिता की कृषि भूमि में समान अधिकार देने पर विचार कर रहा है, जबकि 35 साल पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने इस दक्षिणी राज्य में हिंदू कानून में संशोधन करके महिलाओं को ये अधिकार प्रदान किए थे। द्रमुक के आधिकारिक मुखपत्र ‘मुरासोली' में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश को ‘‘अब एहसास हुआ है'', जो द्रमुक के संरक्षक दिवंगत करुणानिधि ने 35 साल पहले ही कर दिया था, जिन्होंने पारिवारिक संपत्तियों में महिलाओं को समान अधिकार देने के लिए 1989 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (तमिलनाडु संशोधन) में संशोधन किया था।

दैनिक अखबार ने 11 सितंबर 2025 के अपने संपादकीय में पेरियार ई.वी. रामासामी द्वारा लगभग 100 साल पहले महिलाओं के लिए ऐसे अधिकारों पर विचार करने का उल्लेख किया। पेरियार ने 1929 में महिलाओं के लिए ऐसे अधिकारों की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था और सुधारवादी नेता ने इससे पहले ही इसके लिए अभियान शुरू कर दिया था। मुखपत्र में दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश विवाहित बेटियों को भी उनके पिता की संपत्ति में हिस्सा देने के लिए कथित तौर पर एक कानून बनाने जा रहा है और यह दर्शाता है कि राज्य किस हद तक ‘‘पिछड़ा हुआ'' है।

उसने एक तमिल दैनिक में छपी रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 और कृषि भूमि के संबंध में उत्तराधिकार को नियंत्रित करने वाले इसके प्रावधानों और महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए इसमें संशोधन करने की लंबे समय से की जा रही मांग का हवाला दिया गया है। उच्चतम न्यायालय की न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ के 11 अगस्त 2020 के फैसले का जिक्र करते हुए, जिसने संपत्तियों में महिलाओं के अधिकारों को बरकरार रखा, मुरासोली ने कहा कि हालांकि उत्तर प्रदेश की प्रगतिशील सोच में देरी हुई है, लेकिन ‘‘हमें इसका स्वागत करना चाहिए'', क्योंकि कम से कम अब ऐसा हो रहा है। 

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