दिल्ली की सड़कों पर रात 9 बजे के बाद बढ़ जाता है मौत का खतरा, पैदल चलना हो सकता है जानलेवा

Edited By Updated: 13 Sep, 2024 11:05 AM

the risk of death increases after 9 pm on the roads of delhi

दिल्ली की सड़कों पर बढ़ते सड़क हादसों ने राजधानी में सुरक्षा के मुद्दे को एक बार फिर गंभीर बना दिया है। दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग द्वारा जारी की गई ताज़ा रिपोर्ट ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है, जिसमें हर दिन सड़क हादसों में चार लोगों की मौत होने...

नेशनल डेस्क: दिल्ली की सड़कों पर बढ़ते सड़क हादसों ने राजधानी में सुरक्षा के मुद्दे को एक बार फिर गंभीर बना दिया है। दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग द्वारा जारी की गई ताज़ा रिपोर्ट ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है, जिसमें हर दिन सड़क हादसों में चार लोगों की मौत होने की जानकारी दी गई है।

सड़क हादसों की बढ़ती संख्या
रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में दिल्ली में कुल 1,517 जानलेवा सड़क हादसे हुए, जिनमें 1,571 लोगों की जान गई। इसका मतलब है कि औसतन हर दिन चार लोगों की मौत सड़क हादसों में होती है। यह आंकड़ा कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 और 2021 में कमी के बाद, 2019 के स्तर पर वापस आ गया है। खासतौर पर, 2021 की तुलना में 2022 में सड़क हादसों की संख्या में 28% की बढ़ोतरी देखी गई है।

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हिट एंड रन और रात के समय हादसे
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि रात 9 बजे से 2 बजे के बीच सड़क हादसों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। इस समय के दौरान 35% से अधिक मौतें होती हैं, जिनकी कुल संख्या 521 है। अंधेरे के समय में दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या का एक प्रमुख कारण हिट एंड रन मामलों में वृद्धि है, जहां चालक भाग जाते हैं और पैदल चलने वालों या दोपहिया सवारों की जान जाती है।

हादसों का डेमोग्राफिक विश्लेषण
दिल्ली में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में 50% लोग सड़क पर पैदल चल रहे होते हैं। वहीं, 45% मौतें उन लोगों की होती हैं जो टू-व्हीलर या थ्री-व्हीलर पर सवार होते हैं। यानी, कुल मिलाकर 97% मौतें पैदल चलने वालों, मोटरसाइकिल सवारों और ऑटो रिक्शा में सवार लोगों की होती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, हादसों में जान गंवाने वाले ज्यादातर लोग पुरुष होते हैं, जिनकी संख्या 89% है। इसके अलावा, अधिकांश मृतक 20 से 39 साल की उम्र के होते हैं, और 2022 में इस उम्र के 609 लोग सड़क हादसों में मारे गए।

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भारी वाहनों का असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में 81% सड़क हादसे भारी वाहनों और लाइट मोटर वाहनों (LMV) की वजह से होते हैं। हिट एंड रन के मामलों में सबसे ज्यादा 57% मौतें पैदल चलने वालों की होती हैं, इसके बाद टू-व्हीलर सवार (33%) होते हैं। 

सप्ताह के दिनों में हादसों की प्रवृत्ति
सड़क हादसों की बढ़ती संख्या के संदर्भ में, शनिवार, रविवार और सोमवार सबसे खतरनाक दिन होते हैं। 2022 में इन तीन दिनों के दौरान कुल 674 मौतें हुईं, जो कुल मौतों का 45% है। दिल्ली में उत्तरी क्षेत्र में सड़क हादसों की संख्या सबसे अधिक है। 2022 में उत्तरी दिल्ली में 260 सड़क हादसे हुए, जिनमें से 150 हिट एंड रन मामले थे। इसके विपरीत, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 53 हादसे हुए, जिनमें 34 हिट एंड रन मामले शामिल थे।

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भारत में सड़क सुरक्षा की स्थिति
भारत की सड़कों की स्थिति भी चिंताजनक है। लंदन की यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सड़कों की गुणवत्ता बहुत खराब है। यहां की केवल 3% सड़कें ही नेशनल हाइवे हैं, और 75% हाईवे सिर्फ दो लेन वाले हैं। भारत की सड़कें भी अत्यधिक कंजेस्टेड हैं और 40% सड़कें गंदी होती हैं। इसके अलावा, 30% से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें नहीं पहुंची हैं। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दुनिया की कुल गाड़ियों का केवल 1% हिस्सा है, लेकिन वैश्विक सड़क हादसों का 11% यहीं होता है। भारत में हर साल सड़क हादसों में 1.50 लाख मौतें होती हैं, जबकि 7.50 लाख से अधिक लोग घायल होते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में सबसे ज्यादा सड़क हादसे अमेरिका और जापान में होते हैं, लेकिन मौतें भारत में अधिक होती हैं। दिल्ली में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या और उनमें होने वाली मौतों के आंकड़े अत्यंत चिंताजनक हैं। विशेष रूप से रात के समय और सप्ताह के अंत के दिनों में सड़क सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, दिल्ली और भारत की सड़क सुरक्षा स्थिति को बेहतर बनाने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत है, ताकि इन जानलेवा हादसों की संख्या को कम किया जा सके।

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