SIP करने वाले 70% लोग नहीं जानते म्यूचुअल फंड्स के ये खास नियम, जानें सही निवेश का तरीका

Edited By Updated: 18 Jul, 2025 02:56 PM

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भारत में म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जून 2025 तक कुल म्यूचुअल फंड फोलियो की संख्या 24.13 करोड़ हो चुकी है, जिसमें से लगभग 19.07 करोड़ फोलियो रिटेल निवेशकों और हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) के हैं। यह दर्शाता है...

नेशनल डेस्क: भारत में म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जून 2025 तक कुल म्यूचुअल फंड फोलियो की संख्या 24.13 करोड़ हो चुकी है, जिसमें से लगभग 19.07 करोड़ फोलियो रिटेल निवेशकों और हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) के हैं। यह दर्शाता है कि आम लोग भी म्यूचुअल फंड को एक सुरक्षित और लाभकारी निवेश विकल्प मानने लगे हैं। भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 74.41 ट्रिलियन रुपए तक पहुंच चुका है। हालांकि निवेशकों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन ज्यादातर लोगों को म्यूचुअल फंड्स में निवेश के सही नियम और रणनीतियों की जानकारी नहीं होती। कई निवेशक जरूरत से ज्यादा स्कीमें खरीद लेते हैं, जिससे उनका पोर्टफोलियो असंतुलित हो जाता है और नुकसान भी हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि निवेश से पहले कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाए।

इक्विटी पोर्टफोलियो का सही संतुलन कैसे बनाएं?

इक्विटी पोर्टफोलियो में 5 से 7 यूनिक स्कीम काफी मानी जाती हैं। इसे आप ‘कोर और सैटेलाइट’ रणनीति के तहत व्यवस्थित कर सकते हैं। कोर हिस्से में आपको 65-70 प्रतिशत निवेश बड़े और भरोसेमंद फंड्स में करना चाहिए जैसे कि एक बड़ा Large Cap Fund, Flexi-Cap या Multi-Cap Fund, एक Value Fund और एक Contra Fund। सैटेलाइट हिस्से में 30-35 प्रतिशत निवेश मिड कैप फंड या Aggressive Hybrid Fund में किया जा सकता है। यदि आपकी जोखिम उठाने की क्षमता अधिक है तो Small Cap Fund भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इस पूरे इक्विटी पोर्टफोलियो के लिए 7 से 8 साल या उससे अधिक का निवेश समय जरूरी माना जाता है। टैक्स बचत के लिए ELSS फंड्स भी अच्छे विकल्प हैं।

डेट फंड्स में निवेश का सही तरीका

डेट फंड्स को निवेशक सुरक्षित समझते हैं, लेकिन इनमें भी जोखिम होते हैं। इसलिए निवेश से पहले अपनी नकदी जरूरत और निवेश की अवधि का ध्यान रखें। यदि आपका निवेश का समय 2-3 साल है तो Banking & PSU Debt Fund सही विकल्प हो सकता है। ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव से फायदा उठाने के लिए Dynamic Bond Fund अच्छा विकल्प है। 1-2 साल के लिए Short Duration Fund सही रहता है, जिसमें ज्यादातर सरकारी या अर्ध-सरकारी बॉन्ड होते हैं। एक साल से कम के लिए Liquid Fund बेहतर होता है, जो शॉर्ट-टर्म पेपर जैसे T-Bills और Call Money में निवेश करता है।

गोल्ड स्कीम को पोर्टफोलियो में जरूर शामिल करें

आर्थिक अनिश्चितता के समय गोल्ड निवेश आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता देता है। इसके लिए आप Gold ETF या Gold Savings Fund में निवेश कर सकते हैं। Gold ETF के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है, जबकि Gold Savings Fund को आप सीधे फंड हाउस या एजेंट से खरीद सकते हैं।

मल्टी एसेट फंड: तीनों वर्गों में एक साथ निवेश

अगर आप इक्विटी, डेट और गोल्ड तीनों में एक साथ निवेश करना चाहते हैं तो Multi Asset Fund एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इन फंड्स में फंड मैनेजर अपने अनुसार इन तीनों एसेट क्लासेज में निवेश करते हैं। कुछ फंड्स सिल्वर ETF, REITs, अंतरराष्ट्रीय इक्विटीज और डेरिवेटिव्स में भी निवेश करते हैं। ये फंड्स 3 से 5 साल की अवधि में अच्छा रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न दे सकते हैं।

सही निवेश के लिए कुछ जरूरी टिप्स

अपने निवेश में सफलता पाने के लिए हमेशा स्पष्ट लक्ष्य और समय सीमा तय करना जरूरी होता है। इससे आपको यह समझने में मदद मिलती है कि कब और कैसे निवेश करना है। साथ ही, जरूरत से ज्यादा फंड्स में निवेश करने से बचें क्योंकि इससे आपका पोर्टफोलियो असंतुलित हो सकता है और आपको नुकसान हो सकता है। अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को समझकर ही निवेश करें ताकि आप मानसिक रूप से भी सहज रहें। समय-समय पर अपने निवेश की समीक्षा करते रहें और यदि जरूरत हो तो उसमें आवश्यक बदलाव करें ताकि आपका पोर्टफोलियो हमेशा संतुलित और बेहतर प्रदर्शन करे। टैक्स बचत के लिए ELSS फंडों को चुनना भी फायदेमंद होता है क्योंकि ये आपको कर में राहत देते हैं। अंत में, किसी अनुभवी वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें ताकि आपकी निवेश यात्रा सही दिशा में आगे बढ़े और आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर सकें।

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