मोदी-ट्रंप दोस्ताने का अंत ! अमेरिका के हर वार पर भारत का करारा पलटवार, दबाव के सभी शस्त्र किए नाकाम

Edited By Updated: 04 Sep, 2025 02:42 PM

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत पर दबाव डालने की हर कोशिश अब तक नाकाम साबित हुई है।  चाहे वह  भारत–पाकिस्तान विवाद पर श्रेय लेने का दावा हो या रूस से..

International Desk: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत पर दबाव डालने की हर कोशिश अब तक नाकाम साबित हुई है।  चाहे वह  भारत–पाकिस्तान विवाद पर श्रेय लेने का दावा हो या रूस से दोस्ती खत्म करने व तेल न खरीदने के लिए 50% टैरिफ लगाकर व्यापार पर चोट करने की रणनीति , भारत ने हर कदम पर अपने दम पर जवाब दिया है। नतीजा यह हुआ कि कभी “ट्रंप-मोदी दोस्ती”(Trump-Modi bromance) के नाम से मशहूर रिश्ते अब ठंडे पड़ते दिख रहे हैं।

 

ट्रंप का दावा और भारत का करारा जवाब
मई 2025 में पहलगाम आतंकी हमला हुआ, जिसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया।  ट्रंप ने दावा किया कि उनकी धमकियों और  व्यापारिक दबाव की वजह से भारत–पाकिस्तान में  सीज़फायर हुआ। भारत ने साफ कहा कि युद्धविराम केवल  सीधे सैन्य वार्ता से हुआ, किसी बाहरी दबाव से नहीं। मामला और पेचीदा तब हो गया जब पाकिस्तान ने ट्रंप को  नोबेल शांति पुरस्कार  के लिए नामित करने की बात कही, लेकिन भारत ने इससे दूरी बनाए रखी।

 

दरार का सबसे बड़ा कारण

ट्रंप का रूस से तेल न खरीदे के लिए अनावश्यक दबाव बनाना।
यूक्रेन जंग रोकने के लिए भारत को रूस से दोस्ती तोड़ने को कहना। 
सबसे बड़ा हमला भारत की अर्थव्यवस्था पर  50% टैरिफ। 
यह शुल्क 80 अरब डॉलर से ज्यादा के भारतीय निर्यात पर लागू है।
 भारत–अमेरिका व्यापार का लगभग  70% हिस्सा प्रभावित हुआ।
 टेक्सटाइल, रत्न, सीफूड और लेदर जैसे श्रम-प्रधान सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित।
 परिधान उद्योग की आमदनी आधी हो सकती है और छोटे निर्यातकों पर भारी संकट मंडरा रहा है।
 लंबे समय तक यह टैरिफ जारी रहा तो भारत की GDP ग्रोथ 0.5%–1% तक गिर सकती है।

 

भारत की रणनीति 
भारत सरकार ने ट्रंप की दबाव नीति को चुनौती नहीं, अवसर मानकर नई राह चुनी।
 मेक इन इंडिया और स्वदेशी अभियान को और मजबूत किया गया।
 GST सुधार, कर्ज सहायता और नए व्यापार साझेदारों  की खोज की जा रही है।
 सरकार का संदेश स्पष्ट है: दबाव में झुकना नहीं, बल्कि नई संभावनाएँ तलाशना। 

 

 वैश्विक राजनीति का नया समीकरण
ट्रंप की नीति ने दुनिया के बड़े देशों को एकजुट होने पर मजबूर कर दिया। ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने कहा-“अगर अमेरिका नहीं खरीदेगा तो दुनिया में कई और देश हमारे साथ व्यापार करने को तैयार हैं।”चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संरक्षणवाद और एकतरफ़ा नीतियों के खिलाफ एकजुटता की अपील की।  मोदी, लूला और पुतिन आपसी तालमेल बढ़ा रहे हैं।

 

BRICS की मजबूती, अमेरिका की चुनौती
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह घटनाक्रम  BRICS की मजबूती और अमेरिका की कमजोरी की तरफ इशारा है। ट्रंप का हर वार भारत पर उलटा पड़ रहा है।  न तो राजनीतिक दावे भारत को प्रभावित कर पाए, न ही टैरिफ भारत को झुका पाए। भारत अब  रणनीतिक, आत्मनिर्भर और वैश्विक गठबंधनों की नई राह पर बढ़ रहा है। ट्रंप की दबाव की राजनीति, फिलहाल नाकाम होती दिख रही है।
 

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