प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत के सैन्य संकल्प को मिला नया रूप

Edited By Updated: 29 Dec, 2025 11:18 PM

under modi s leadership india s military resolve has taken on a new form

वर्ष 2025 को भारत की की राष्ट्रीय सुरक्षा के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ मोड़ के रूप में याद किया जाएगा। भारत ने युद्धों, भू-राजनीतिक उथल-पुथल और महाशक्तियों के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता से घिरे वैश्विक परिदृश्य में भी स्पष्ट दृष्टि, ठोस रणनीति व...

वर्ष 2025 को भारत की की राष्ट्रीय सुरक्षा के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ मोड़ के रूप में याद किया जाएगा। भारत ने युद्धों, भू-राजनीतिक उथल-पुथल और महाशक्तियों के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता से घिरे वैश्विक परिदृश्य में भी स्पष्ट दृष्टि, ठोस रणनीति व अटूट संकल्प के साथ अपनी भूमिका का निर्वाह किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र ने अपने नागरिकों की सुरक्षा से जुड़े खतरों का सामना करने में अनिश्चितता और संकोच से आगे बढ़ते हुए निर्णायक और प्रभावी कदम उठाए।

वर्ष 2025 में राष्ट्रीय सुरक्षा की परिभाषा केवल संयम तक सीमित नहीं रही, बल्कि संप्रभुता की रक्षा हेतु दृढ़ इच्छाशक्ति, सटीक कार्रवाई और सुविचारित रणनीतिक संकल्प पर आधारित होकर उभर कर सामने आई। आतंकवाद के विरुद्ध भारत की 'नई सामान्य नीति' ने इस परिवर्तन को सबसे स्पष्ट रूप में परिभाषित किया।

ऑपरेशन सिन्दूरः कार्रवाई में सिद्धांत : 7मई 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के प्रत्युत्तर में प्रारंभ किया गया ऑपरेशन सिंदूर पिछले 5 दशकों में भारत द्वारा की गई सबसे महत्वपूर्ण और दूरगामी सैन्य कार्रवाइयों में से एक था।1971 के बाद पहली बार, भारत ने न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों तक स्वयं को सीमित रखा बल्कि पाकिस्तान के भीतरी इलाकों में स्थित अनेक आतंकी ठिकानों पर एक साथ सटीक और योजनाबद्ध प्रहार किए।

ऑपरेशन सिंदूर की सबसे विशिष्ट विशेषता यह रही कि तीव्र उकसावे के बावजूद भारतीय सेना ने पूरे अभियान के दौरान पूर्ण नियंत्रण और अनुशासन बनाए रखा। 10 मई 2025 को पाकिस्तान के 11 हवाई अड्डों पर किए गए अत्यंत सटीक हमलों में भारत की एक भी मिसाइल को निष्क्रिय नहीं किया जा सका, जो हमारी तकनीकी एवं परिचालन श्रेष्ठता का स्पष्ट प्रमाण था। इस अभियान में लगभग 100 आतंकवादी मारे गए।

संदेश पूरी तरह निर्विवाद था, भारतीय नागरिकों पर किसी भी प्रकार के हमले की कीमत चुकानी होगी और परमाणु शक्ति का प्रदर्शन भारत की प्रतिक्रिया को न तो रोक सकता है, न ही उसे सीमित कर सकता है।

रणनीतिक समर्थन के रूप में स्वदेशी क्षमताः ऑपरेशन सिंदूर की एक अत्यंत उल्लेखनीय विशेषता यह रही कि इसकी सफलता का आधार व्यापक रूप से स्वदेशी क्षमताओं पर टिका था। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, मंडराने वाले तथा आत्मघाती ड्रोन और एकीकृत खुफिया-निगरानी-टोही विमानों के समन्वित उपयोग ने अत्यंत सटीक व समयबद्ध हमलों को संभव बनाया। यह उपलब्धि किसी संयोग का परिणाम नहीं थी। आत्मनिर्भरता की दिशा में एक दशक से चले आ रहे सतत और सुनियोजित प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि भारत त्वरित, स्वायत्त एवं बाहरी दबावों अथवा बाधाओं से मुक्त होकर कार्रवाई कर सके।

रक्षा आधुनिकीकरण-उद्देश्य के साथ गतिः वर्ष 2025 में भारत की सैन्य स्थिति निरंतर निवेश, त्वरित निर्णय, क्षमता और दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टि पर आधारित थी। रक्षा बजट 2013-14 में 2.53 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया जो आधुनिकीकरण, परिचालन तत्परता एवं बल-संरचना सुदृढ़ीकरण के प्रति भारत की स्थायी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

इसी अवधि में रक्षा उत्पादन 1.54 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया, जबकि रक्षा निर्यात 100 से अधिक देशों तक विस्तारित हुआ। यह उपलब्धि भारत को केवल एक आत्मनिर्भर उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि एक विश्वसनीय और उभरते हुए वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करती है।

वर्ष 2025 में रक्षा अधिग्रहण की गति वास्तव में अभूतपूर्व रही। इस अवधि में 43 लाख करोड़ रुपए से अधिक के पूंजीगत खरीद प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई, जो भारत की सैन्य तत्परता को तीव्र गति से सुदृढ़ करने के संकल्प को दर्शाता है।

भर्ती, परीक्षण और सीमा सुरक्षा : भर्ती, परीक्षण और सीमा सुरक्षा के क्षेत्रों में ठोस प्रगति तथा महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धियों के माध्यम से वर्ष 2025 में भारत की परिचालन क्षमता को निर्णायक रूप से सुदृढ़ किया गया। जनवरी माह में भारतीय नौसेना ने एक साथ एक विध्वंसक, एकफ्रिगेट, और एक पनडुब्बी, आई.एन.एस. सूरत, आई. एन. एस. नीलगिरी और आई. एन. एस. वाघशीर को नौसेना में शामिल किया, जो हाल के दशकों में एक अभूतपूर्व और प्रतीकात्मक उपलब्धि रही। इसके पश्चात वर्ष के अंत तक 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी घटकों से युक्त 2 अतिरिक्त स्टील्थ फ्रिगेटों को भी शामिल किया गया। ये उपलब्धियां भारत की बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता को दर्शाती हैं।

दिसंबर 2025 तक पहली पूर्णतः स्वदेशी ए. के. 203 असॉल्ट राइफलों की खेप भारतीय सेना को सौंपे जाने की योजना है, जो व्यक्तिगत हथियारों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। ऑपरेशन सिंदूर से प्राप्त युद्धगत अनुभवों को आत्मसात करते हुए सीमा सुरक्षा बल ने उभरते सीमा खतरों विशेषकर ड्रोन आधारित चुनौतियों से निपटने के लिए टेकानपुर में भारत का पहला ड्रोन युद्ध प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया।

इसके समानांतर, वर्ष भर डी.आर.डी.ओ. ने सशस्त्र बलों को अनेक उन्नत स्वदेशी प्रौद्योगिकियां सौंपों तथा स्वदेशी लड़ाकू विमान बचाव प्रणाली का उच्च. गति रॉकेट, स्लेड परीक्षण सफ लतापूर्वक संपन किया। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के रक्षा औद्योगिक गलियारों ने 9,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश आकर्षित किया।

एक स्थिरकारी निवारकः ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया कि उकसावे की स्थिति में भारत निर्णायक और अनुपातिक कार्रवाई करने में सक्षम है, किंतु साथ ही वह तनाव को अनियंत्रित रूप से बढ़ने से रोकने के प्रति समान रूप से प्रतिबद्ध है। क्षमता, स्पष्ट रणनीति और राजनीतिक संकल्प से समर्थित यह निवारक नीति संघर्ष को सामान्य बनाने के लिए नहीं, बल्कि उसे रोकने व क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए अभिकल्पित थी।

भारत 2026 में प्रवेश करते हुए न केवल अपनी सीमा रेखाओं को स्पष्ट रूप से निर्धारित कर चुका है, बल्कि अपनी तैयारियों को सुदृढ़ और अपनी प्रतिक्रिया नीति को पूर्णतया स्पष्ट भी कर चुका है। -सैयद अता हसनैन, लैफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त)

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