दर्द से कराहती उन्नाव पीड़िता की हालत देख रो पड़े थे सारे डॉक्टर

Edited By Updated: 07 Dec, 2019 12:22 PM

unnao victim hospital doctor

भइया! मुझे बचा लो। तुम आरोपियों को छोडऩा नहीं। मुझे जीना है भइया...। सफदरजंग अस्पताल में जिंदगी के लिए मौत से मुकाबला करने के दौरान उन्नाव रेप पीड़िता ने यह बात अपने भाई से कही थी। उस दौरान जिसने भी यह कराहती हुई दर्द भरी गुहार सुनी वो बड़ी मुश्किल...

नई दिल्ली: भइया! मुझे बचा लो। तुम आरोपियों को छोडऩा नहीं। मुझे जीना है भइया...। सफदरजंग अस्पताल में जिंदगी के लिए मौत से मुकाबला करने के दौरान उन्नाव रेप पीड़िता ने यह बात अपने भाई से कही थी। उस दौरान जिसने भी यह कराहती हुई दर्द भरी गुहार सुनी वो बड़ी मुश्किल से अपने आंखों के आंसू को काबू कर पाया। मौत से पहले भाई से हुई बात अस्पताल के डॉक्टरों को भी भावुक कर गई। पीड़िता का बड़ा भाई अपनी बहन से मिलने सफदजरंग अस्पताल पहुंचा था। पीड़िता के भाई के मुताबिक, बहन ने उससे कहा था कि उसे मरना नहीं है। साथ ही उसने भाई से यह भी कहा कि वह किसी भी कीमत पर आरोपियों को सजा दिलवाकर ही रहेगी। भाई ने बताया कि घर पर चाचा-चाची को धमकी मिल रही है। साथ ही उसने यूपी पुलिस पर पूरा भरोसा होने की भी बात कही। 

पीड़िता को पहचाना भी हुआ था मुश्किल
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील गुप्ता ने पहले ही कह दिया था कि इस तरह के मामलों में मरीज को बचा पाना बहुत मुश्किल होता है। लड़की इस कदर जली हुई थी कि उसका चेहरा भी पहचानना मुश्किल था। इस तरह जलने से शरीर का धीरे-धीरे फ्लूड लॉस होने लगता है। उन्होंने कहा कि जब वीरवार रात 8 बजे उसे अस्पताल लाया गया तो वह धीरे आवाज में बात कर रही थी, लेकिन अब वह मुश्किल से बातचीत कर पा रही थी। उसे पानी-पीने और निगलने में भी परेशानी हो रही थी। ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि उसके अंदरूनी अंगों में सूजन शुरू हो गई थी। बर्न विभाग के एचओडी डॉ. सलभ लगातार उसकी स्थिति पर निगाह बनाए हुए थे। 
 

दर्द कम करने के लिए दी जा रही थी मुश्किल
पीड़िता को आहार और पानी देने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। उसे रात करीब 9:30 बजे वेंटिलेटर पर डाला गया था। हालांकि, शरीर के महत्वपूर्ण अंग, हार्ट, ब्रेन और पल्स ठीक काम कर रहा था। सेमी कॉन्सेस का स्तर बेहद कम था। उसे एंटी बैक्टीरियल डे्रसिंग दी जा रही थी। शरीर में जलन और दर्द कम करने के लिए भी दवाएं दी जा रही थी। उन्होंने कहा कि अभी उसे आई-वी फ्लूूड दिया जा रहा था। साथ ही डॉ. गुप्ता ने यह भी कहा कि 90 प्रतिशत जली हुई अवस्था वाले मामले में रिकवर करना आसान नहीं होता। उन्होंने कहा कि अस्पताल का बर्न एंड प्लास्टिक विभाग दुनियाभर में बेहतर है। 
 

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