‘वंदे मातरम्' देश की एकता का उद्घोष बना हुआ है: राष्ट्रपति मुर्मू

Edited By Updated: 07 Nov, 2025 01:03 PM

vande mataram  has become the slogan of country s unity president murmu

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्' देश के लोगों की भावनात्मक चेतना और एकता का प्रतीक है। मुर्मू ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने के गौरवशाली अवसर पर हम सभी देशवासी यह दृढ़...

नेशनल डेस्क: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्' देश के लोगों की भावनात्मक चेतना और एकता का प्रतीक है। मुर्मू ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने के गौरवशाली अवसर पर हम सभी देशवासी यह दृढ़ संकल्प लें कि हम भारत माता को इस गीत की भावना के अनुरूप ‘सुजला', ‘सुफला' और ‘सुखदा' बनाए रखेंगे। वंदे मातरम्।''

राष्ट्रपति ने यह भी याद किया कि 19वीं सदी में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध संन्यासी विद्रोह की पृष्ठभूमि में ‘‘वंदे मातरम्' गीत की रचना की थी जो 1905 के स्वदेशी आंदोलन के समय से जन-जन का प्रेरणा स्रोत बन गया। उन्होंने कहा, ‘‘तब से ही भारत माता की वंदना का यह गीत हमारे देशवासियों की भावनात्मक चेतना और एकता का उद्घोष बना हुआ है और बना रहेगा।'' उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के बाद देश ने राष्ट्र गीत के रूप में इसे सादर अपनाया।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस वर्ष सात नवंबर को वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ है, जिसका अर्थ है ‘‘मां, मैं तुम्हें नमन करता हूं।'' यह रचना, एक चिरस्थायी गान, स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की अनगिनत पीढ़ियों को प्रेरित करती रही है और भारत की राष्ट्रीय पहचान और सामूहिक भावना का एक स्थायी प्रतीक बनी हुई है। वंदे मातरम् पहली बार साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन' में सात नवंबर 1875 को प्रकाशित हुआ था और इसे रवींद्रनाथ टैगोर ने संगीतबद्ध किया था। 

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