‘वंदे मातरम्' ने आजादी के आंदोलन को दिशा दी, स्वतंत्रता के बाद देश को एकजुट रखा: अमित शाह

Edited By Updated: 07 Nov, 2025 02:17 PM

vande mataram gave direction to the freedom movement kept the country united

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्' ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को दिशा दी और स्वतंत्रता के बाद देश को एकजुट रखने का कार्य किया। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित ‘वंदे मातरम्' के 150वें वर्ष...

नेशनल डेस्क: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्' ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को दिशा दी और स्वतंत्रता के बाद देश को एकजुट रखने का कार्य किया। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित ‘वंदे मातरम्' के 150वें वर्ष समारोह को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के जो सपने थे, वे पिछले 11 वर्षों में सामूहिक प्रयासों से साकार हुए हैं। शाह ने कहा कि यह गीत बंगाली उपन्यासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अक्षय नवमी के दिन, सात नवम्बर 1875 को लिखा था।

उन्होंने कहा, ‘‘इसी दिन बंकिम बाबू ने यह गीत सार्वजनिक किया था, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरणा दी और स्वतंत्रता के बाद भारत को एक सूत्र में बांधे रखा।'' यह गीत सबसे पहले ‘बंगदर्शन' नामक साहित्यिक पत्रिका में चट्टोपाध्याय के उपन्यास ‘आनंदमठ' के हिस्से के रूप में प्रकाशित हुआ था। शाह ने कहा कि भाजपा ने हमेशा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर बल दिया है। उन्होंने कहा ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि ‘वंदे मातरम्' उसी राष्ट्रवाद की प्रेरक शक्ति रहा होगा।''

उन्होंने बताया कि ‘‘वंदे मातरम् 150'' नाम से एक सोशल मीडिया अभियान चलाया जाएगा, जिसके तहत देशवासी इस गीत को अपनी-अपनी भाषाओं में लिखकर राष्ट्रीय एकता को सशक्त करेंगे। कार्यक्रम के दौरान शाह ने बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को नमन किया और कहा, ‘‘आज से क्रमबद्ध रूप से वर्षभर विभिन्न स्थानों पर ‘वंदे मातरम्' गाने का अभियान चलाया जाएगा।'' उन्होंने बताया ‘‘15 अगस्त 1947 को सरदार वल्लभभाई पटेल के अनुरोध पर पंडित ओंकारनाथ ठाकुर ने पूरा ‘वंदे मातरम्' गीत गाया था और 24 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसे राष्ट्रगीत के रूप में स्वीकार किया था।''

शाह ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित ‘वंदे मातरम्@150' कार्यक्रम के दौरान ‘स्वदेशी संकल्प पत्र' भी पढ़ा और ‘स्वदेशी' का संकल्प लिया। ‘स्वदेशी संकल्प पत्र' में विदेशी वस्तुओं की जगह भारतीय उत्पादों के प्रयोग, स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने, लोगों में जागरूकता फैलाने, भारतीय पर्यटन स्थलों को प्राथमिकता देने, भारतीय भाषाओं के प्रयोग को प्रोत्साहित करने और युवाओं व बच्चों में स्वदेशी की भावना विकसित करने पर बल दिया गया। 

 

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