डाॅक्टर मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखने का कब फैसला लेते हैं? जानिए चौंकाने वाली सच्चाई

Edited By Updated: 12 Nov, 2025 05:29 PM

when do doctors decide to put a patient on ventilator support know the truth

जब मरीज की सांसें सामान्य रूप से नहीं चल पातीं, तो डॉक्टर उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखते हैं। यह मशीन फेफड़ों की कार्यक्षमता कमजोर होने या गंभीर बीमारी, सर्जरी या संक्रमण की स्थिति में सांस लेने में मदद करती है। वेंटिलेटर कई जिंदगियां बचाता है, लेकिन...

नेशनल डेस्क : जब किसी मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है और उसका शरीर खुद से पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं ले पाता, तब डॉक्टर उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखते हैं। यह एक जीवनरक्षक मशीन होती है जो मरीज की सांस लेने में मदद करती है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब मरीज के फेफड़े या सांस लेने की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जैसे गंभीर संक्रमण, बड़ी सर्जरी, स्ट्रोक या हार्ट अटैक जैसी स्थिति में।

कब पड़ती है वेंटिलेटर की जरूरत?

वेंटिलेटर की जरूरत तब होती है जब मरीज के फेफड़े सही से गैस एक्सचेंज नहीं कर पाते, यानी शरीर में ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है।

  • गंभीर सांस की तकलीफ: फेफड़ों की बीमारी, निमोनिया या कोविड जैसी स्थिति में।
  • गंभीर चोट या बीमारी: स्ट्रोक, सेप्सिस या बड़े ऑपरेशन के बाद।
  • न्यूरोलॉजिकल समस्या: स्पाइनल इंजरी या मसल्स कमजोर करने वाली बीमारियों में।
  • बड़ी सर्जरी या एनेस्थीसिया: ऑपरेशन के दौरान जब मरीज बेहोश रहता है।
  • हार्ट की समस्या: हार्ट फेल्योर या हार्ट अटैक के बाद शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती।

वेंटिलेटर की जरूरत कैसे पहचानी जाती है?

डॉक्टर मरीज की स्थिति देखकर निर्णय लेते हैं।

संकेतों में शामिल हैं:

  • बहुत मुश्किल से सांस लेना या तेज सांसें चलना
  • खून में ऑक्सीजन की कमी
  • कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ना
  • शरीर में थकान या कमजोरी
  • भ्रम या बेहोशी जैसी स्थिति

वेंटिलेटर के खतरे भी हैं

हालांकि वेंटिलेटर कई जानें बचाता है, लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल से कुछ जोखिम भी होते हैं।

  • फेफड़ों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है
  • मशीन के दबाव से फेफड़े कमजोर हो सकते हैं
  • लंबे समय तक लेटे रहने से मांसपेशियां कमजोर पड़ सकती हैं
  • ब्लड क्लॉट बनने का खतरा भी रहता है

कब हटाया जाता है वेंटिलेटर?

जब मरीज की तबीयत में सुधार दिखने लगता है, तो डॉक्टर धीरे-धीरे वेंटिलेटर का सपोर्ट कम करते हैं। इस दौरान ऑक्सीजन स्तर और सांस लेने की क्षमता पर लगातार नजर रखी जाती है। अगर वेंटिलेटर जल्दी हटा दिया जाए तो मरीज को दोबारा सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जबकि देर से हटाने पर भी शरीर पर दबाव बढ़ सकता है। इसलिए सही समय पर और निगरानी में वेंटिलेटर हटाना बेहद जरूरी होता है।


 

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