राज्यसभा उपसभापति चुनाव: जानिए, कौन है हरिवंश जिस पर NDA ने खेला दांव

Edited By Updated: 09 Aug, 2018 05:53 AM

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राज्यसभा के उपसभापति चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष अपनी अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। एक ओर जहां एनडीए ने जेडीयू के सांसद हरिवंश को उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने एनसीपी की वंदना चव्हाण को अपना...

नेशनल डेस्क: राज्यसभा के उपसभापति चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। एक ओर जहां एनडीए ने जेडीयू के सांसद हरिवंश को उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष की ओर से बीके हरिप्रसाद ने उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भर दिया है। माना जा रहा है जेडीयू के सांसद हरिवंश को उम्मीदवार घोषित कर भाजपा ने मास्टर स्ट्रोक खेला है। विपक्ष को मात देने के साथ-साथ पार्टी यह भी संदेश देना चाहती है कि उसके और जेडीयू के बीच सब कुछ सही है। आईए जानते हैं कौन है हरिवंश जिस पर मोदी सरकार ने खेला दांव:-
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दो दशक तक पत्रकारिता में दी अपनी सेवाएं 
हरिवंश नारायण सिंह का जन्म 30 जून 1956 को बलिया जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था। उन्होंने 1976 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए और 1977 में बीएचयू से ही पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढ़ाई की और अपने कैरियर की शुरुआत टाइम्स समूह से की। इसके बाद हरिवंश ने कई प्रसिद्ध पत्रिकाओं में काम किया। इसके बाद वे 90 के दशक में बिहार के बड़े मीडिया समूह से जुड़े जहां उन्होंने दो दशक तक अपनी सेवाएं दी।

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नीतीश कुमार के हैं करीबी 
अपने कार्यकाल के दौरान हरिवंश ने बिहार के ज्वलंत विषयों और आर्थिक रुप से कमजोर बिहार की तस्वीर सरकार के सामने रखी। इसी दौरान वह नीतीश कुमार के करीब आए इसके बाद हरिवंश को जेडीयू का महासचिव बना दिया गया। साल 2014 में जेडीयू ने हरिवंश को राज्यसभा के लिए नामांकित किया और इस तरह से हरिवंश पहली बार संसद तक पहुंचे।
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पूर्व पीएम चंद्रशेखर के रह चुके हैं सलाहकार 
हरिवंश ने वर्ष 1990-91 के कुछ महीनों तक तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अतिरिक्त सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) के रूप में प्रधानमंत्री कार्यालय में भी काम किया। नब्बे के दशक में ही उन्होंने बिहार की स्थिति को केंद्र के सामने रखने के लिए दिल्ली में दस्तक दी। कहा जाता है कि दिल्ली से लेकर पटना तक नीतीश कुमार की बेहतर छवि बनाने में भी उनका खास योगदान रहा। दरअसल हरिवंश राजपूत जाति से आते हैं एनडीए उनके सहारे राजपूत वोट बैंक को अपना ओर खींचने की कोशिश में है। इसके साथ ही हरिवंश की साफ छवि होने के कारण भाजपा को किसी भी विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा। 

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