Edited By Mansa Devi,Updated: 29 Aug, 2025 12:40 PM

रेबीज एक घातक बीमारी है, जो कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने से होती है। इसका वायरस दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर सीधा असर डालता है। एक बार लक्षण दिखने पर इसका इलाज संभव नहीं होता। भारत में हर साल 18,000 से 20,000 मौतें होती हैं। हालांकि, समय पर...
नेशनल डेस्क: कुत्ता, बिल्ली या बंदर के काटने से होने वाली बीमारी रेबीज को दुनिया की सबसे घातक बीमारी माना जाता है। एक बार अगर इसके लक्षण दिख जाएँ, तो इसका इलाज लगभग नामुमकिन है। यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि अब तक दुनिया में सिर्फ 6 लोग ही रेबीज से बच पाए हैं। आखिर क्यों साइंस भी इस बीमारी का इलाज नहीं खोज पाई? आइए समझते हैं पूरा मामला।
रेबीज क्यों है इतनी घातक?
रेबीज का वायरस रेबडोबिरिडे फैमिली से आता है और यह शरीर के सबसे ज़रूरी अंग, यानी दिमाग और रीढ़ की हड्डी को सीधे निशाना बनाता है।
वायरस का हमला: जब कोई संक्रमित जानवर काटता है, तो यह वायरस खून की कोशिकाओं या नर्वस सिस्टम के ज़रिए दिमाग तक पहुँच जाता है।
अजेय सुरक्षा कवच: दिमाग तक पहुँचने के बाद यह वायरस अपने चारों ओर एक ऐसा सुरक्षा कवच बना लेता है, जिसे इंसान का इम्यून सिस्टम भेद नहीं पाता। यहाँ तक कि कोई भी एंटीबॉडी या एंटीवायरल दवा भी इस कवच को तोड़ नहीं पाती।
दिमाग को नुकसान: वायरस धीरे-धीरे दिमाग की कोशिकाओं को खत्म करना शुरू कर देता है, जिससे शरीर की सभी क्रियाएँ प्रभावित होने लगती हैं। यही वजह है कि मरीज को हाइड्रोफोबिया (पानी से डर), दौरे और लकवे जैसी गंभीर समस्याएँ होने लगती हैं।
भारत में हालात और भी गंभीर
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, भारत में हर साल रेबीज से लगभग 18,000 से 20,000 लोगों की मौत होती है, जो दुनिया भर में रेबीज से होने वाली कुल मौतों का 36% है। यह आँकड़ा बेहद चिंताजनक है।
इलाज नहीं, तो क्या है बचाव?
भले ही रेबीज का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसका बचाव 100% संभव है। अगर किसी भी जानवर के काटने के बाद तुरंत एंटी-रेबीज वैक्सीन ले ली जाए, तो इस बीमारी को होने से पूरी तरह रोका जा सकता है। इसलिए, घाव छोटा हो या बड़ा, उसे नज़रअंदाज़ न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। दुनियाभर में वैज्ञानिक अभी भी रेबीज का इलाज खोजने की कोशिश कर रहे हैं। उम्मीद है कि एक दिन ऐसी कोई दवा ज़रूर मिलेगी, जो इस जानलेवा बीमारी से लोगों की जान बचा सके।