Edited By Mehak,Updated: 14 Aug, 2025 12:33 PM

देशभर में 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) के अवसर पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं। राजधानी दिल्ली में पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 15...
नेशनल डेस्क : देशभर में 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) के अवसर पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं। राजधानी दिल्ली में पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 को पहली बार तिरंगा लाल किले पर नहीं फहराया गया था?
क्यों नहीं फहराया गया तिरंगा लाल किले पर?
15 अगस्त 1947 को भारत ने आधिकारिक रूप से आज़ादी पाई थी। उस समय लाल किला अभी भी अंग्रेजों के नियंत्रण में था, इसलिए वहां ध्वजारोहण नहीं किया गया। लाल किले पर तिरंगा फहराने की परंपरा बाद में शुरू हुई थी।
पहली बार कहां फहराया गया था तिरंगा?
आज़ादी के दिन यानी 15 अगस्त 1947 को तिरंगा नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास प्रिंसेस पार्क में पहली बार सार्वजनिक रूप से फहराया गया था। इसके अलावा, 14 अगस्त 1947 की रात को संसद भवन (तब काउंसिल हाउस) में संविधान सभा की बैठक में भी तिरंगा फहराया गया था। यह एक औपचारिक समारोह था, जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था।
राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन किसने बनाया?
भारत का राष्ट्रीय ध्वज पिंगली वेंकय्या ने डिजाइन किया था। इसमें ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग था, और बीच में चरखा बना था। बाद में डिजाइन में बदलाव कर चरखे की जगह अशोक चक्र शामिल किया गया। इस बदलाव को फ्लैग कमेटी ने 22 जुलाई 1947 को मंजूरी दी थी। सुरैया बदरुद्दीन तैयबजी की भी इस बदलाव में अहम भूमिका मानी जाती है। फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अनुसार, इस बदलाव पर महात्मा गांधी से भी राय ली गई थी और वे अशोक चक्र को शामिल करने के पक्ष में थे।