24 घंटे में निकलो बाहर! इस राज्य में 15 लोगों को भारत छोड़ने का दिया गया सख्त आदेश

Edited By Updated: 19 Dec, 2025 12:44 PM

assam orders 15 peoples to leave india within 24 hours

असम के नागांव जिले में विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा 1990 से 2021 के बीच विदेशी घोषित 15 लोगों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। जिला प्रशासन ने इमिग्रेंट्स (एक्सपल्शन फ्रॉम असम) एक्ट, 1950 के तहत इन्हें 24 घंटे के भीतर सीमा पार करने का निर्देश दिया।...

नेशनल डेस्क : असम के नागांव जिले में अवैध प्रवासन के खिलाफ एक कड़ा रुख अपनाया गया है। जिला प्रशासन ने विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा 1990 से 2021 के बीच विदेशी घोषित किए गए 15 लोगों को 24 घंटे के भीतर असम और भारत छोड़ने का आदेश दिया है। नागांव के जिला आयुक्त देवाशीष शर्मा ने इमिग्रेंट्स (Expulsion from Assam) एक्ट, 1950 के तहत यह निर्देश जारी किया और कहा कि इन लोगों की उपस्थिति राज्य की आंतरिक सुरक्षा और जनहित के लिए हानिकारक है। आदेश में यह भी बताया गया कि ये लोग नागांव जिले के विभिन्न गांवों और कस्बों के निवासी हैं, और इनमें से कुछ फिलहाल गोलपाड़ा के मतिया ट्रांजिट कैंप और कोकराझार स्थित असम पुलिस बटालियन में बंद हैं।

नागांव के पुलिस अधीक्षक स्वप्ननील डेका ने जानकारी दी कि इन 15 लोगों की निर्वासन प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू होगी और पुलिस टीम उन्हें सीमा तक एस्कॉर्ट करेगी। जिला आयुक्त ने बताया कि इन लोगों ने हाई कोर्ट में अपील की थी, लेकिन उनकी याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। अब इन्हें एसपी की निगरानी में सीमा से बाहर किया जाएगा।

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यह इमिग्रेंट्स एक्ट के तहत हाल के समय की दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले पिछले महीने सोनितपुर जिले में 5 लोगों को इसी कानून के तहत भारत छोड़ने का आदेश दिया गया था, लेकिन वे फरार हो गए थे। इस साल सितंबर में असम कैबिनेट ने इस लंबे समय से निष्क्रिय पड़े कानून के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) को मंजूरी दी थी, जिसके बाद इसका सख्त अमल शुरू हुआ है।

इमिग्रेंट्स (Expulsion from Assam) एक्ट, 1950 को देश के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से हो रहे अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत राज्य या केंद्र सरकार को अधिकार है कि यदि किसी व्यक्ति की मौजूदगी जनहित या सुरक्षा के लिए खतरा मानी जाए, तो उसे असम या भारत से बाहर किया जा सकता है। आम तौर पर निर्वासन प्रक्रिया में दूसरे देश से नागरिकता सत्यापन जरूरी होता है, लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि इस कानून के तहत सीधे कार्रवाई की जा सकती है।

अधिकारियों ने साफ कहा है कि अब विदेशी ट्रिब्यूनल के फैसले सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उन्हें जमीन पर लागू किया जाएगा। आदेशों का पालन न करने की स्थिति में जबरन निष्कासन भी किया जा सकता है। यह कदम असम में अवैध प्रवासन के खिलाफ चल रहे अभियान का हिस्सा है, जिसमें अब तक हजारों लोगों को विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किया जा चुका है।


 

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