Edited By Mehak,Updated: 22 Aug, 2025 09:03 PM

वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचनों और दिव्य वचनों से लोगों का मार्गदर्शन करते रहते हैं। देशभर से श्रद्धालु उनके दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए वृंदावन पहुंचते हैं। अपने हालिया प्रवचन में संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि यदि कोई...
नेशनल डेस्क : वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचनों और दिव्य वचनों से लोगों का मार्गदर्शन करते रहते हैं। देशभर से श्रद्धालु उनके दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए वृंदावन पहुंचते हैं। अपने हालिया प्रवचन में संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि यदि कोई मनुष्य अपनी इच्छाओं की पूर्ति करना चाहता है, तो उसे गलत आचरण और पाप कर्मों से दूर रहना होगा। पाप कर्म का परिणाम हमेशा दुख और विपत्ति ही होता है।
पवित्र आचरण का महत्व
महाराज ने बताया कि चाहे राम पूजो या हनुमान, अगर आप तामसिक भोजन जैसे मांस-मछली खाते हो, जीवों को कष्ट देते हो, हिंसा करते हो और अपवित्र आचरण अपनाते हो तो ईश्वर अप्रसन्न होते है और वे अपने भक्तों की कभी नहीं सुनते। ऐसे कर्म मनुष्य की मनोकामनाओं में बाधा बनते हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर जाना जरूरी नहीं है। अगर कोई व्यक्ति अपने घर में पवित्र जीवन जीता है, सात्विक भोजन करता है और भगवान के नाम का स्मरण करता है, तो उस पर भगवान की कृपा अवश्य बनी रहती है।
सृष्टि का संतुलन ईश्वर के हाथों में
संत प्रेमानंद महाराज ने उन लोगों की सोच पर भी प्रश्न उठाया, जो मानते हैं कि मांस-मछली नहीं खाने से सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि सृष्टि का संतुलन मनुष्य के हाथों में नहीं, बल्कि परमात्मा के नियंत्रण में है। भगवान ही इस जगत के पालनहार और संचालक हैं। वे समय-समय पर स्वयं सृष्टि का संतुलन बनाए रखते हैं।
इच्छाओं की पूर्ति का मार्ग
महाराज ने कहा कि ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम तभी जाग्रत होता है, जब इंसान गलत आचरण और अपराधों से बचता है। यदि कोई अपनी मनोकामना पूरी करना चाहता है, तो उसे अपवित्र भोजन और पाप कर्मों को त्यागकर पवित्र जीवन अपनाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति की इच्छाएं जल्दी पूरी होती हैं और उसे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।