दिल्ली की अदालत ने कार्ति चिदंबरम के सीए को चार दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा

Edited By Updated: 19 May, 2022 08:27 PM

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नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने लोकसभा सदस्य कार्ति चिदंबरम के चार्टर्ड एकाउंटेंट एस भास्कररमन को चार दिन की हिरासत में पूछताछ के लिए सीबीआई के सुपुर्द कर दिया।

नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने लोकसभा सदस्य कार्ति चिदंबरम के चार्टर्ड एकाउंटेंट एस भास्कररमन को चार दिन की हिरासत में पूछताछ के लिए सीबीआई के सुपुर्द कर दिया।
पंजाब के तलवंडी साबू पॉवर लिमिटेड में कार्यरत 263 चीनी नागरिकों के वीजा मंजूर कराने के लिए कथित रूप से 50 लाख रुपये की रिश्वत लेने के मामले में यह कार्रवाई की गयी है।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश प्रशांत कुमार ने आदेश जारी करते हुए कहा कि जांच शुरुआती स्तर पर है और आरोपियों से पूछताछ की जरूरत है।

रिश्वतखोरी की घटना 2011 की है जब कार्ति चिदंबरम के पिता पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सीबीआई की दलील से पता चलता है कि इस मामले में जांच शुरू हुई है और जांच अधिकारी को मामले में आवश्यक सभी संबंधित जानकारी इकट्ठा करने के लिए कुछ समय चाहिए। इसलिए मेरे विचार से उचित होगा कि सीबीआई को 4 दिन की पुलिस रिमांड दी जाए।’’
उन्होंने कहा कि आरोपी ने स्वीकार किया है कि वह कार्तिक चिदंबरम के सीए हैं और वह एक अन्य मामले में वांछित रहे हैं।

अदालत ने कहा, ‘‘प्राथमिकी 14 मई, 2022 की है। यह भी सामने आया कि आरोपी से इस अवधि में पूछताछ की गयी है, हालांकि विस्तृत पूछताछ और उनके बयान को दर्ज करना अभी बाकी है। सीबीआई द्वारा और उसकी तरफ से यह भी कहा गया कि इस मामले में अन्य आरोपी संलिप्त हैं जिसके लिए मामले में आगे बढ़ने के लिहाज से संबंधित जानकारी चाहिए होगी।’’
एजेंसी ने आरोपी की 14 दिन की हिरासत की मांग करते हुए कहा, ‘‘आरोपी से इस तरह की जानकारी निकलवाने के लिए विस्तार से पड़ताल जरूरी है।’’
आरोपी के वकील ने सीबीआई की अर्जी का विरोध किया और कहा कि आरोपी को पुलिस हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है।
सीबीआई ने भास्कररमन को मंगलवार रात को चेन्नई में गिरफ्तार किया था और उसे ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया।

एजेंसी ने आरोप लगाया कि तलवंडी साबू पॉवर लिमिटेड (टीएसपीएल) के तत्कालीन अधिकारी विकास मखारिया ने मनसा स्थित संयंत्र में काम कर रहे 263 चीनी कर्मियों के लिए परियोजना वीजा पुन: जारी कराने के लिहाज से भास्कररमन से संपर्क किया था। यह संयंत्र तब स्थापित किया जा रहा था।

सीबीआई को संदिग्ध लेन-देन दर्शाने वाले कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसके आधार पर एजेंसी ने इस साल सात मार्च को प्रारंभिक जांच दर्ज की थी।

एजेंसी ने आरोप लगाया है कि पंजाब स्थित टीएसपीएल 1980 मेगावाट का ताप बिजली संयंत्र स्थापित कर रही थी और यह काम एक चीनी कंपनी शेडोंग इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प (एसईपीसीओ) को ठेके पर दिया गया था।

अधिकारियों ने कहा कि प्रारंभिक जांच करने वाले जांच अधिकारी के निष्कर्षों को शामिल करते हुए सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि मखारिया ने कार्ति के करीबी सहयोगी भास्कररमन के जरिए उससे संपर्क किया।

जोशी ने कहा, “उन्होंने उक्त चीनी कंपनी के अधिकारियों को आवंटित 263 प्रोजेक्ट वीजा के पुन: उपयोग की अनुमति देकर सीलिंग (कंपनी के संयंत्र के लिए स्वीकार्य परियोजना वीजा की अधिकतम संख्या) के उद्देश्य को विफल करने के लिए ‘पिछले दरवाजे’ का रास्ता तैयार किया।”
अधिकारियों ने कहा कि मखारिया ने कथित तौर पर गृह मंत्रालय को 30 जुलाई 2011 में एक पत्र सौंपा जिसमें इस कंपनी को आवंटित परियोजना वीजा के पुन: उपयोग के लिए मंजूरी मांगी गई थी, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई थी और कंपनी को अनुमति जारी कर दी गई थी।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया, “17 अगस्त, 2011 को भास्कररमन के निर्देश पर मखारिया ने 30 जुलाई, 2011 के पत्र की एक प्रति उन्हें ई-मेल के माध्यम से भेजी जिसे कार्ति को आगे बढ़ा दिया गया,...भास्कररमन ने तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम के साथ चर्चा के बाद स्वीकृति सुनिश्चित करने के लिये 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी।”

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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