लोकसभा ने प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

Edited By Updated: 29 Mar, 2023 05:55 PM

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नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) लोकसभा ने बुधवार को ‘प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक, 2022’ को हंगामे के बीच बिना चर्चा के मंजूरी प्रदान कर दी। इस विधेयक को पिछले वर्ष अगस्त में निचले सदन में पेश किया गया था।

नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) लोकसभा ने बुधवार को ‘प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक, 2022’ को हंगामे के बीच बिना चर्चा के मंजूरी प्रदान कर दी। इस विधेयक को पिछले वर्ष अगस्त में निचले सदन में पेश किया गया था।
लोकसभा में वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने उक्त विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए सदन में रखा। अडाणी मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सदन ने यथासंशोधित विधेयक को बिना चर्चा के ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने मूल विधेयक में कुछ संशोधन किये हैं। इसमें से एक बदलाव कारोबार के संदर्भ में है जिस पर प्रतिस्पर्धा कानून के उल्लंघन के मामले में जुर्माना लगाने के दौरान विचार किया जायेगा।
लोकसभा द्वारा बुधवार को स्वीकृत किये गए संशोधनों के अनुसार, कारोबार का अर्थ किसी व्यक्ति या उद्यम के सभी उत्पादों और सेवाओं से निकाला जाता है।

ज्ञात हो कि ‘प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक, 2022’ को पिछले वर्ष 5 अगस्त को संसद में पेश किया गया था। इसके बाद इसे भारतीय जनता पार्टी के सांसद जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति को विचारार्थ भेजा गया था। समिति ने 13 दिसंबर को रिपोर्ट पेश की थी।

गौरतलब है कि ‘प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002’ को प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव रखने वाले व्यवहारों का निवारण करने, बाजारों में प्रतिस्पर्धा का संवर्द्धन करने एवं बनाए रखने, उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करने तथा भारत में अन्य प्रतिभागियों द्वारा किये जा रहे व्यापार में स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने एवं उससे जुड़े विषयों को लेकर एक आयोग की स्थापना करने के लिए बनाया गया था।
इसमें कहा गया है कि भारतीय बाजारों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है और पिछले दशक में कारोबार के संचालन के रूप में आमूल-चूल परिवर्तन हुए हैं। आर्थिक विकास, विभिन्न प्रकार के मॉडलों की उत्पत्ति और आयोग के कार्यकरण में प्राप्त किये गए अनुभवों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उक्त अधिनियम की जांच करने और सुझाव देने के लिये एक प्रतिस्पर्धी विधि पुनरावलोकन समिति का गठन किया।

प्रस्तावित सिफारिशों पर विचार करने एवं लोक परामर्श करने के बाद विनियामक निश्चितता और विश्वास आधारित कारोबारी वातावरण का उपबंध करने के लिए उक्त अधिनियम में संशोधन करना जरूरी समझा गया।
इसमें अन्य बातों के अलावा स्पष्टता का प्रावधान करने के लिए ‘उद्गम’, ‘सुसंगत बाजार उत्पाद’,‘नियंत्रण’, जैसी परिभाषाओं में परिवर्तन करने की बात कही गई है। इसके अलावा प्रतिस्पर्धा विरोधी करारों के कार्य क्षेत्र का विस्तार और ऐसे करारों के अधीन प्रतिस्पर्धा विरोधी करार को सुगम बनाने वाले पक्षकारों को शामिल करने का प्रावधान है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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