Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 30 Aug, 2025 02:17 PM

भारत में हर दस साल बाद जनगणना कराई जाती है, जो देश की आबादी और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का सही आंकड़ा देती है। यह आंकड़ा सरकार को नीतियां बनाने और योजनाएं लागू करने में मदद करता है। लेकिन क्या होगा अगर कोई व्यक्ति इस महत्वपूर्ण जनगणना में छूट जाए या...
नेशनल डेस्क: भारत में हर दस साल बाद जनगणना कराई जाती है, जो देश की आबादी और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का सही आंकड़ा देती है। यह आंकड़ा सरकार को नीतियां बनाने और योजनाएं लागू करने में मदद करता है। लेकिन क्या होगा अगर कोई व्यक्ति इस महत्वपूर्ण जनगणना में छूट जाए या उसका डेटा सही तरीके से दर्ज न हो? इस खबर में हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि ऐसी स्थिति में व्यक्ति और समाज पर क्या असर पड़ सकता है।
1. सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना हो सकता है बंद
सरकार द्वारा चलाई जाने वाली कई योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, जन धन योजना, ग्रामीण विकास योजनाएं, राशन कार्ड, सब्सिडी, स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी योजनाएं जनगणना के आधार पर ही लोगों को मिलती हैं। अगर आपका डाटा जनगणना में शामिल नहीं होगा तो आपका नाम इन योजनाओं में नहीं आ पाएगा। इसका मतलब है कि आपको इन सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना बंद हो सकता है।
2. वोटर लिस्ट से हट सकता है नाम
जनगणना और मतदाता सूची के बीच भी कनेक्शन होता है। यदि कोई व्यक्ति जनगणना से छूट जाता है तो उसकी पहचान और पते का रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं होगा। इससे वह वोटर लिस्ट में नाम दर्ज नहीं करा पाएगा, जिससे उसका मतदान करने का अधिकार प्रभावित हो सकता है। चुनावों में भाग लेना नागरिकों का मौलिक अधिकार है और जनगणना में छूटने पर यह अधिकार खतरे में पड़ सकता है।
3. सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों में कमी आ सकती है
जनगणना से मिलने वाले आंकड़े सरकार को यह तय करने में मदद करते हैं कि किस क्षेत्र या समुदाय को कितनी सहायता की जरूरत है। अगर किसी इलाके या समुदाय के लोगों का डाटा ठीक से नहीं आएगा तो उनकी आवश्यकताओं को सही तरह से समझना मुश्किल हो जाएगा। जिसके कारण विकास योजनाओं में कमी आ सकती है और वे जरूरी संसाधन न मिल पाने के कारण पिछड़ सकते हैं। जनगणना के आंकड़े ही बताते हैं कि किन क्षेत्रों को विकास के लिए ज्यादा संसाधनों की जरूरत है। अगर आपका क्षेत्र या समुदाय जनगणना में छूट जाता है तो उसके विकास के लिए मिलने वाले संसाधन कम हो सकते हैं। इसका मतलब है कि आपको और आपके इलाके को विकास योजनाओं में प्राथमिकता नहीं मिलेगी। इससे विकास धीमा हो सकता है और हालात और खराब हो सकते हैं।
4.सरकारी दस्तावेजों में परेशानी
आज कई सरकारी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड आदि जनगणना के आंकड़ों के सहारे बनते हैं। यदि जनगणना में आपका नाम या विवरण सही से दर्ज नहीं हुआ तो इन महत्वपूर्ण पहचान पत्रों के लिए आवेदन करना या बनवाना मुश्किल हो सकता है। यह आपके रोजमर्रा के कामों में बाधा डाल सकता है क्योंकि पहचान पत्र हर काम के लिए जरूरी होते हैं।

क्या सरकार छूटे हुए लोगों को बाद में भी शामिल करती है?
अच्छी बात यह है कि भारत सरकार जनगणना में छूटे हुए लोगों को बाद में भी शामिल करने के उपाय करती है। यदि कोई व्यक्ति किसी वजह से जनगणना में शामिल नहीं हो पाया तो उसे बाद में पहचानने और अपडेट करने का मौका दिया जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि जनगणना अधिकारी या संबंधित विभाग से संपर्क कर अपने डाटा को सही कराएं ताकि आप सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकें और अपनी नागरिक सुविधाओं से वंचित न रहें।