earthquake: भारत के पड़ोसी देश में आया भूकंप, सतह के बेहद करीब था झटका

Edited By Updated: 09 Oct, 2025 07:41 AM

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हिमालय की गोद में बसे शांत और सुंदर भूटान को एक बार फिर धरती की कंपन ने झकझोर दिया है। गुरुवार तड़के भूटान में भूकंप के हल्के झटके दर्ज किए गए, लेकिन इसकी गहराई इतनी कम थी कि इसके आफ्टरशॉक्स का खतरा बना हुआ है। प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से पहले ही...

नेशनल डेस्क: हिमालय की गोद में बसे शांत और सुंदर भूटान को एक बार फिर धरती की कंपन ने झकझोर दिया है। गुरुवार तड़के भूटान में भूकंप के हल्के झटके दर्ज किए गए, लेकिन इसकी गहराई इतनी कम थी कि इसके आफ्टरशॉक्स का खतरा बना हुआ है। प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से पहले ही संवेदनशील माने जाने वाले इस पहाड़ी राष्ट्र के लिए यह एक और चेतावनी है कि धरती के गर्भ में हलचल थमी नहीं है।

तड़के आया भूकंप, सतह के बेहद करीब रहा केंद्र
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, भूकंप गुरुवार सुबह 4 बजकर 29 मिनट पर आया और इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.1 मापी गई। खास बात यह रही कि इसका केंद्र महज 5 किलोमीटर की गहराई पर था, जिससे इसे ‘सतही भूकंप’ माना जा रहा है – और यही इसे अधिक खतरनाक बना सकता है।

पहले भी झेल चुका है झटके
यह इस साल का पहला मौका नहीं है जब भूटान की धरती हिली हो। 8 सितंबर 2025 को भी यहां दो बार भूकंप महसूस किए गए थे।
पहला झटका: दोपहर 12:49 बजे, तीव्रता 2.8, गहराई 10 किमी
दूसरा झटका: रात 11:15 बजे, तीव्रता 4.2, अलग क्षेत्र में दर्ज
इन झटकों ने स्थानीय आबादी को एक बार फिर से प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सतर्क कर दिया था।

क्यों सतही भूकंप होते हैं ज्यादा खतरनाक?
भूकंप विज्ञानियों की मानें तो जब भूकंप धरती की सतह के बेहद करीब होता है, तो उसकी ऊर्जा कम दूरी में अधिक तीव्रता से फैलती है। ऐसे में छोटे पैमाने की तीव्रता भी तेज झटकों में बदल सकती है, जिससे संरचनात्मक क्षति और जनहानी की संभावना बढ़ जाती है।

भूटान – आपदाओं के घेरे में
भूटान भौगोलिक रूप से भूकंपीय जोन IV और V में आता है, जो भारत के सबसे सक्रिय सिस्मिक ज़ोन हैं। एशियन डिजास्टर रिडक्शन सेंटर (ADRC) के अनुसार, यहां भूकंप एक प्रमुख और स्थायी खतरा बना हुआ है। भूतपूर्व भूकंपों के आंकड़े बताते हैं कि यहां के पहाड़ी इलाकों में बार-बार कंपन का सिलसिला जारी रहता है।

सिर्फ भूकंप नहीं, और भी हैं कई आपदाएं
भूटान की चुनौती केवल भूकंप तक सीमित नहीं है। यह इलाका ग्लेशियर झील के फटने, भूस्खलन, तेज हवाओं, बाढ़ और जंगल की आग जैसी आपदाओं के भी चपेट में रहता है।
2011 और 2013 में तेज तूफानों ने हजारों ग्रामीण घरों को नुकसान पहुंचाया था।
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