Aadhaar card का बड़ा खुलासा:  UIDAI ने बंद किए 1.15 करोड़ आधार कार्ड:  RTI में चौंकाने वाला खुलासा

Edited By Updated: 16 Jul, 2025 09:20 AM

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भारत में आधार कार्ड को नागरिकों की सबसे बड़ी पहचान के रूप में प्रस्तुत किया गया है। सरकार की हर डिजिटल योजना, बैंकिंग सुविधा, सब्सिडी, राशन वितरण से लेकर वोटिंग प्रक्रिया तक – हर जगह आधार अनिवार्य हो चुका है। लेकिन एक ताजा आरटीआई (RTI) के जवाब ने...

नेशनल डेस्क:  भारत में आधार कार्ड को नागरिकों की सबसे बड़ी पहचान के रूप में प्रस्तुत किया गया है। सरकार की हर डिजिटल योजना, बैंकिंग सुविधा, सब्सिडी, राशन वितरण से लेकर वोटिंग प्रक्रिया तक – हर जगह आधार अनिवार्य हो चुका है। लेकिन एक ताजा आरटीआई (RTI) के जवाब ने आधार सिस्टम की बुनियादी कमियों और गंभीर लापरवाहियों को उजागर किया है।

सिर्फ 10% मृतकों के आधार हुए निष्क्रिय, RTI में चौंकाने वाला खुलासा
UIDAI द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, पिछले 14 वर्षों (2009 से 2023) में केवल 1.15 करोड़ आधार नंबर ही मृत्यु के आधार पर निष्क्रिय किए गए हैं।
जबकि भारत के सिटिजन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) के अनुसार, 2007 से 2019 के बीच हर साल औसतन 83.5 लाख लोग भारत में मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इस हिसाब से 14 वर्षों में करीब 11.69 करोड़ मौतें हो चुकी होंगी। यानि UIDAI ने इन मौतों में से सिर्फ लगभग 10% मामलों में ही आधार को निष्क्रिय किया है। यह अंतर आधार डेटाबेस की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

 भारत की जनसंख्या और आधार कवरेज में भी दिखी विसंगति
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के मुताबिक, अप्रैल 2025 तक भारत की कुल अनुमानित जनसंख्या 146.39 करोड़ है। वहीं UIDAI के अनुसार, आधार कार्ड धारकों की संख्या 142.39 करोड़ है। यह दर्शाता है कि देश की लगभग 97% आबादी के पास आधार है, फिर भी UIDAI के पास यह अनुमान नहीं है कि कितने लोग आधारविहीन हैं। RTI के जवाब में UIDAI ने कहा, ऐसी कोई जानकारी हमारे पास नहीं है।

आधार निष्क्रियता की प्रक्रिया क्या है?
UIDAI के अनुसार, जब Registrar General of India (RGI) किसी मृत व्यक्ति का डेटा साझा करता है, तब उसे आधार डेटाबेस से मिलाया जाता है। फिर:
-नाम की 90% समानता
-लिंग (Gender) की 100% समानता

जांच के बाद, यदि मौत के बाद कोई बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन या अपडेट उस आधार नंबर से नहीं हुआ है, तभी वह नंबर निष्क्रिय किया जाता है। यदि मृत घोषित किया गया आधार भविष्य में किसी प्रक्रिया में उपयोग होता है, तो सिस्टम चेतावनी देता है, और आधार धारक बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से उसे फिर से सक्रिय कर सकता है।

UIDAI के पास नहीं है साल-दर-साल आधार डिएक्टिवेशन का रिकॉर्ड
RTI में जब पूछा गया कि पिछले पांच वर्षों में हर साल कितने आधार नंबर मृत्यु के कारण बंद किए गए, तो UIDAI ने कहा, ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।  संस्था ने सिर्फ एक कुल आंकड़ा दिया – 31 दिसंबर 2024 तक 1.15 करोड़ आधार नंबर मृत्यु के आधार पर निष्क्रिय किए गए हैं।

बिहार में दिखा आधार सैचुरेशन 100% से भी ज्यादा
RTI के साथ सामने आई एक और गंभीर बात ये रही कि बिहार के कई जिलों में आधार कवरेज (Saturation) 100% से भी ज्यादा दर्ज की गई है।
उदाहरण:

किशनगंज – 126%
कटिहार और अररिया – 123%
पूर्णिया – 121%
शेखपुरा – 118%
यह दर्शाता है कि इन जिलों की अनुमानित जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड जारी किए जा चुके हैं।

इसके पीछे क्या वजहें?
मृतकों के आधार का निष्क्रिय न होना
जनसंख्या अनुमानों में त्रुटि
प्रवासन (Migration)
डुप्लिकेट आधार कार्ड
इन सभी कारणों से सैचुरेशन आंकड़े गलत दिख रहे हैं, जो चुनावी मतदाता सूचियों से लेकर सरकारी योजनाओं तक, नीति निर्माण को गुमराह कर सकते हैं।

 क्या यह सिस्टम पर सवाल उठाता है?
इस RTI के जवाब से यह स्पष्ट होता है कि: 
-UIDAI के पास आधार विहीन जनसंख्या का कोई अनुमान नहीं
-UIDAI के पास मृत लोगों के आधार निष्क्रिय करने का सटीक और प्रभावी सिस्टम नहीं
-डेटा की विश्वसनीयता और पारदर्शिता की गंभीर कमी है। जबकि आधार अब सरकार की प्रमुख योजनाओं, सब्सिडी, बैंकिंग, राशन, वोटिंग सिस्टम से जुड़ा हुआ है, ऐसे में यह कमियां गंभीर खतरा बन सकती हैं।

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