नैनो के कारखानें में कभी भी ताले लग जाएगें!

Edited By ,Updated: 02 Nov, 2015 04:02 PM

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रतन टाटा ने अपनी छोटी कार नैनो के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए मई 2006 में कलकत्ता से 40 किलोमीटर दूर सिन्गुर में नैनो कार के लिए कारखाना बनाने की शुरुआत.....

रतन टाटा ने अपनी छोटी कार नैनो के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए मई 2006 में कलकत्ता से 40 किलोमीटर दूर सिन्गुर में नैनो कार के लिए कारखाना बनाने की शुरुआत की किंतु अक्टूबर 2008 में ममता बेनर्जी के नेतृत्व में सिन्गुर के किसानों के हिंसक विरोध के बाद टाटा मोटर्स ने नैनो के कारखाने को सिन्गुर से गुजरात के सांणद में स्थानान्तरित करने का फैसला किया।

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नवम्बर सन् 2008 को सांणद में शुरु हुआ टाटा मोटर्स नैनो का कारखाना 725 एकड़ में फैला है और इसके अलावा गुजरात सरकार ने 375 एकड़ जमीन टाटा मोटर्स के उन वेन्डरस को भी दी जो नैनो कार के लिए छोटे-छोटे पुर्जे बना कर दे रहे हैं। इस उपजाऊ जमीन पर टाटा मोटर्स ने प्रारम्भिक लागत 20 अरब रुपए से जहां पहले वर्ष में ढ़ाई लाख कार बनाने की क्षमता का कारखाना 14 माह में बना दिया।

कारखानें को इस प्रकार डिजाईन किया गया कि आने वाले वर्षों में ही प्रतिवर्ष 5 लाख नैनो कार यहां बनने लगें। कार बनाने के लिए अत्यन्त आधुनिक रोबोटिक और हाई स्पीड प्रोडक्शन लाईन डाली गई। प्रारम्भ में 2400 लोगों के स्टाफ ने यहां काम शुरु किया और अप्रत्यक्ष रुप से इस कारखाने से 10000 लोगों को रोजगार मिला।

रतन टाटा के सपनों की कार नैनो उनकी उम्मीदों की कसौटी पर बिल्कुल खरी नहीं उतर पाई जैसी की रतन टाटा जी को उम्मीद थी कि इस कार को न केवल भारतवासी हाथों हाथ ले लेगें बल्कि विदेशों में भी इस छोटी कार की सप्लाई खूब होगी किंतु ऐसा न हो सका और अब यह प्रोजेक्ट लगभग फ्लाप सा हो गया है। जबकि इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए टाटा मोटर्स ने नैनो कार के कई मॉडल व वैरियएन्ट बाजार में उतारे और अभी-भी पूरे ताकत के साथ इस प्लान्ट को चलाने के लिए पूरी ताकत लगाई जा रही है।

सिन्गुर से लेकर सांणद तक टाटा मोटर्स ने नैनो कार को लेकर जितनी भी मुश्किलों का सामना किया है उसका एकमात्र कारण इन दोनों स्थानों पर महत्तवपूर्ण वास्तुदोष होना है, जो कि इस प्रकार हैं -

सिन्गुर स्थित टाटा मोटर्स परिसर की भूमि और निर्माणाधिन कारखाना दोनों ही अनियमित आकार के थे। कारखाने के शेड की बनावट इस प्रकार की गई थी जिसके कारण उत्तर वायव्य और आग्नेय कोण बढ़ रहे थे और उत्तर, पूर्व दिशा एवं ईशान कोण कट रहे थे। वास्तु सिद्धांत के अनुसार इस प्रकार का अनियमित आकार चोरी, आर्थिक हानि, मानसिक कष्ट इत्यादि का कारण बनता है।

परिसर के अंदर पूर्व आग्नेय कोण में पानी का एक पोखर था। वास्तु सिद्धांतों के अनुसार जहां भी पूर्व आग्नेय में द्वार हो और साथ में पानी का स्रोत हो तो वहां निश्चित रूप से गंभीर विवाद चलते रहते हैं। कोर्ट कचहरी की नौबत आती है।

परिसर की पूर्व दिशा में सोना सिरेमिक प्रा. लि. और बहुमुखी हिमघर (कोल्ड स्टोरेज) है। इन फैक्ट्रियों के कारण परिसर की पूर्व दिशा में दो बड़े कटाव हो गए थे। परिसर की उत्तर दिशा में ईशान कोण में परिसर की ओर दबती हुई घुमाव लिए नदी है। जिससे परिसर के ईशान कोण में कटाव आ गया था। वास्तु सिद्धांत के अनुसार पूर्व दिशा एवं ईशान कोण में कटाव होने से आर्थिक हानि होती है और घाटे के कारण
 निश्चित ही एक दिन फैक्ट्री बंद हो जाती है।

वास्तु सिद्धांतों के अनुसार उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार की निचाई के साथ पानी हो तो वह स्थान निश्चित रूप से प्रसिद्धि पाता है। सिन्गुर स्थित टाटा मोटर्स परिसर की उत्तर दिशा स्थित इसी नदी ने नैनो कार परिसर को चर्चित कर दिया था किंतु परिसर के वास्तुदोषों ने धन हानि के साथ-साथ इसे विवादित भी कर दिया था।

सांणद स्थित टाटा नैनो का कारखाना शासन द्वारा मिली सभी विशेष सुविधाओं के बाद भी वास्तुदोषों के कारण प्रारम्भ से ही अत्यधिक बुरी स्थिति में चल रहा है।
सांणद स्थित नैनो कार का कारखाना अनियमित आकार के प्लाट पर बना है जिसका ईशान कोण का बहुत बड़ा भाग कटा हुआ है। वास्तुशास्त्र के अनुसार जिस प्लाट का ईशान कोण कटा हो उस प्लाट पर होने वाली गतिविधियों में भारी धन हानि होती है।

प्लाट की पश्चिम दिशा में पश्चिम के साथ मिलकर वायव्य कोण में बढ़ाव है। वास्तुशास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा के साथ मिलकर वायव्य कोण में बढ़ाव हो तो प्लाट का स्वामी राजा का क्रोध, अपमान, अनेक चिंताओं, धन-नष्ट और गरीबी से पीड़ित होता है।

प्लाट की पश्चिम दिशा में नैऋत्य कोण से लेकर वायव्य कोण तक बहुत बड़ा तालाब है। वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसा जलाशय होने पर पर प्लाट का स्वामी भारी धन हानि और निराशा से पीड़ित होता है।

इस अनियमित आकार के प्लाट पर नैनो का कारखाना पूर्व दिशा में बना हुआ है इस कारण पूर्व दिशा ऊंची हो रही है और ढंक गई है और पश्चिम दिशा नीची होने के साथ-साथ पूरी तरह से खुली हुई है। वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसे निर्माण से धन हानि होती है और वहां किए जाने वाले कार्य में सफलता नहीं मिलती।

देश के मध्यमवर्गीय परिवारों के सुख-सुविधा के लिए छोटी लखटकिया कार का कारखाना वास्तु सिद्धांतों के विपरीत बन जाने से रतन टाटा का सपना चूर-चूर हो रहा है। यह तय है कि यदि सांणद स्थित टाटा नैनो के कारखाने के वास्तुदोषों को दूर नहीं किया जाएगा तो हो रहे लगातार घाटे के कारण इस कारखानें में कभी-भी ताले लग जाएगें।

वास्तु गुरु कुलदीप सलूजा
thenebula2001@yahoo.co.in

 

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