अब चीन बना ‘दुकानदारों का देश’ पाकिस्तान के जरिए यूक्रेन को दे रहा हथियार

Edited By ,Updated: 29 May, 2023 04:43 AM

china has become a  country of shopkeepers  giving arms to ukraine through pak

1811 में सारे यूरोप पर विजय पाने और इंगलैंड की नौसेना और उनके औद्योगिकीकरण के कारण उन्हें न हरा पाने पर नेपोलियन कहा करता था कि मैं इस दुकानदारों के देश को घुटनों पर ला दूंगा।

1811 में सारे यूरोप पर विजय पाने और इंगलैंड की नौसेना और उनके औद्योगिकीकरण के कारण उन्हें न हरा पाने पर नेपोलियन कहा करता था कि मैं इस दुकानदारों के देश को घुटनों पर ला दूंगा। उसके परिणामस्वरूप उसने यूरोप में अंग्रेजी सामान पर प्रतिबंध लगा दिया, परंतु यूरोपियन देश इंगलैंड की वस्तुओं पर निर्भर थे, इसलिए वे छिप कर वस्तुएं खरीदते थे।अब चीन ‘दुकानदारों का देश’ बन गया है। दुनिया का कोई भी देश, चाहे उसकी चीन से दोस्ती हो या दुश्मनी, चीन में निर्मित सामान को खरीदना बंद नहीं कर पा रहा। रूस भी इस विषय में चीन से कुछ नहीं कह रहा है कि वह उसके शत्रु को हथियार क्यों सप्लाई कर रहा है। 

माना जाता है कि यूक्रेन के युद्ध में चीन तथा रूस एक ओर हैं तथा रूस उसके समर्थन से ही सब कुछ कर रहा है, परंतु इसी बीच एक समाचार के अनुसार हथियार बनाने वाली एक चीनी कम्पनी ने पाकिस्तान में अपना लिंक कायम किया है और चीन में बने हथियारों को रूस के विरुद्ध इस्तेमाल के लिए पोलैंड के जरिए पाकिस्तान द्वारा यूक्रेन को सप्लाई की जा रही है। बेशक रूस इस समय चीन को बड़ा भाई मानता हो, परंतु स्पष्टत: जहां व्यापार की बात आती है, तो चीन सरकार किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं करती। 

यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की प्रक्रिया सुचारू बनाने के लिए चीन-पाक ‘सदाबहार मित्रता’ की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान ने वारसा में यूक्रेन को रक्षा आपूर्ति के लिए एक चीनी प्रतिरक्षा फर्म ‘बीजिंग हेवियोंगताई’ के साथ सांझेदारी में एक प्रतिरक्षा व्यापार फर्म की स्थापना भी की है। पाकिस्तान गत वर्ष से यूक्रेन को हथियारों और रक्षा उपकरणों की नियमित आपूर्ति कर रहा है। अगले तीन महीनों में पाकिस्तान आयुध कारखानों द्वारा कराची पोर्ट से पोलैंड में डांस्क पोर्ट तक खेप भेज दी जाएगी और बाद में इसे यूक्रेन ले जाया जाएगा। 

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष इंगलैंड ने भी यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई करने के लिए पाकिस्तान को ही माध्यम बनाया था। उस समय रावलपिंडी से होकर यह सप्लाई की गई थी। ऐसे में यह मानना गलत न होगा कि देश की आर्थिक जरूरतों से ऊपर और कुछ भी नहीं।

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