पूरे संसार में आ रहे ‘भूकम्प, बाढ़, तूफान और हिमपात’  कहीं ये ‘साढ़ेसाती का संकेत’ तो नहीं

Edited By ,Updated: 05 May, 2023 04:29 AM

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कुछ समय से पूरे संसार में प्रकृति का प्रकोप जारी है। कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब दुनिया के किसी न किसी कोने में भूकंप न आ रहे हों। इस महीने के पहले 7 दिनों में ही जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, ताजिकिस्तान, जापान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, सोमालिया,...

कुछ समय से पूरे संसार में प्रकृति का प्रकोप जारी है। कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब दुनिया के किसी न किसी कोने में भूकंप न आ रहे हों। इस महीने के पहले 7 दिनों में ही जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, ताजिकिस्तान, जापान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, सोमालिया, म्यांमार, तुर्की और चीन में विभिन्न तीव्रताओं के भूकंप आ चुके हैं और अब भी आ रहे हैं। इनके अलावा वर्षा, बाढ़, तूफान, हिमपात आदि का प्रकोप भी जारी है। 

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यू.एम.ओ.) के अनुसार 20वीं सदी की शुरूआत से ही ग्लोबल वाॄमग के कारण समुद्र के जलस्तर में जारी वृद्धि भारत, बंगलादेश व चीन आदि के लिए खतरे का संकेत है। भारत का मुम्बई इस खतरे से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले शहरों में से एक हो सकता है। मौसम विभाग के अनुसार पर्यावरण में बदलावों के चलते इस वर्ष जून, जुलाई और अगस्त के महीनों में ‘अल नीनो’ चक्रवात की स्थिति प्रबल होने की संभावना है जिससे दुनिया भर में इस वर्ष वर्षा कम होने से भीषण गर्मी पड़ेगी। 

बिगड़े मौसम की इसी महीने की चंद घटनाएं निम्न में दर्ज हैं :-
* 1 मई को हिमाचल में रोहतांग, भरमौर और पांगी की चोटियों, शिंकुला तथा बारचा दर्रे में भारी हिमपात हुआ जो 4 मई तक भी लगातार जारी था।
* 1 मई को ही श्रीलंका सरकार ने देश के 12 जिलों में बाढ़ और बिजली गिरने की चेतावनी दी है। वहां वर्षा और बाढ़ से भारी विनाश हुआ है।
* 2 मई को प्रयागराज तथा अयोध्या (उत्तर प्रदेश) में आकाशीय बिजली गिरने से 4 लोगों की मौत तथा अनेक लोग झुलस गए।
* 2 मई को ही डिब्रूगढ़ (असम) जिले में भारी आंधी-तूफान से एक व्यक्ति की मौत और दर्जनों बड़े-बड़े पेड़ और बिजली के खम्भे उखड़ गए।
* 2 मई को ही अमरीका में धूल भरी आंधी ने भारी तबाही मचाई। इस दौरान 6 लोगों की मौत हो गई। लगभग 100 वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुए और आंधी के वेग से कारें हवा में उड़ कर आपस में टकराने लगीं। 

* 3 मई को पूर्वी अफ्रीका के देश रवांडा में इस महीने आई विनाशकारी बाढ़ के चलते कीचड़ में धंस जाने के कारण कम से कम 115 लोगों की मौत तथा अनेक घायल हो गए और सब कुछ बुरी तरह तहस-नहस हो गया। 
* 3 मई को ही हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी के चलते अटल टनल रोहतांग बंद कर दी गई और शिमला, धर्मशाला, सोलन व कुल्लू में भारी वर्षा से जनजीवन ठप्प हो गया। रोजगार के लिए जांस्कर जा रहे 250 मजदूर बर्फबारी में फंस गए। 

* 3 मई को ही पंजाब व हरियाणा के कुछ हिस्सों में वर्षा होने से तापमान में गिरावट दर्ज की गई।  मई महीने में जहां पहले लोगों के भारी गर्मी के कारण पसीने छूट जाते थे परंतु इस बार स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है और गर्मी के मौसम में ठंड का एहसास हो रहा है। पंजाब में 3 मई को तापमान मई महीने के सामान्य तापमान की तुलना में लगभग 8.8 डिग्री नीचे था। 
* 3 मई को ही बद्रीनाथ धाम में भारी हिमपात से देखते ही देखते बर्फ की चादर बिछ जाने से ठंड बेहद बढ़ गई तथा केदारनाथ धाम में रोकी गई यात्रा भारी बर्फबारी के कारण स्थगित रखी गई। वहां भारी बर्फबारी के कारण दर्जनों टैंट टूट गए व हिमनद का एक हिस्सा टूट कर गिरने से पैदल यात्रा मार्ग बंद हो गया। 
* 3 मई को ही राजधानी दिल्ली में मौसम विभाग ने 6 और 7 मई को वर्षा और आंधी को लेकर यैलो अलर्ट जारी किया है।  

* 4 मई को केदारनाथ पैदल मार्ग पर कुबेर व भैरव ग्लेशियर के बीच हिमस्खलन होने तथा बद्रीनाथ हाईवे पर मलबा गिरने से मार्ग बंद हो गए।
मौसम का बिगड़ा मिजाज केवल उत्तर भारतीय राज्यों तक ही सीमित नहीं है। मौसम विभाग को बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में एक चक्रवात ‘मोचा’ बनने के शुरूआती संकेत मिले हैं।
इसके 8 मई को कम दबाव के क्षेत्र में केंद्रित होने और 9 मई को तेज होने की आशंका के दृष्टिïगत लोगों को इस क्षेत्र में जाने के बारे में चेतावनी जारी की गई है। ओडिशा के 18 जिलों में भी अलर्ट जारी किया गया है। 

इससे पहले गत वर्ष पाकिस्तान में आई बाढ़ में 1700 से अधिक लोग मारे गए तथा भारी तबाही हुई। इस बाढ़ से पाकिस्तान को 30 अरब डालर की हानि होने से उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है। ये तो मात्र इस महीने की चंद खबरें हैं, जबकि वास्तव में विश्व में पिछले एक वर्ष से अधिक समय से लगातार आ रहे भूकंप, बाढ़ें, आंधी-तूफान आदि प्राकृतिक आपदाओं की संख्या तो कहीं अधिक है। इसे देखते हुए मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि कहीं यह दुनिया में ‘साढ़ेसाती’ आने का संकेत तो नहीं!—विजय कुमार

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