अदालत परिसरों में गोलीबारी और हिंसा सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की आवश्यकता

Edited By ,Updated: 22 Apr, 2023 04:28 AM

firing and violence in court premises need to strengthen security

भारतीय अदालत परिसरों व उनके आस-पास पिछले कुछ समय से अपराधी गिरोहों तथा अन्य असामाजिक तत्वों द्वारा गोलीबारी और हिंसक घटनाएं हुई हैं। इसी वर्ष 28 मार्च को बिहार के सहरसा जिले में अदालत परिसर के अंदर पुलिस की मौजूदगी में एक व्यक्ति की गोली मार कर...

भारतीय अदालत परिसरों व उनके आस-पास पिछले कुछ समय से अपराधी गिरोहों तथा अन्य असामाजिक तत्वों द्वारा गोलीबारी और हिंसक घटनाएं हुई हैं। इसी वर्ष 28 मार्च को बिहार के सहरसा जिले में अदालत परिसर के अंदर पुलिस की मौजूदगी में एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या करने के बाद बदमाश बेधड़क गोलियां चलाते हुए फरार हो गए, जबकि अगले ही दिन 29 मार्च को झारखंड में जमशेदपुर की अदालत में गोली चली। 

और अब 21 अप्रैल को दक्षिण दिल्ली इलाके के साकेत कोर्ट परिसर के कक्ष नंबर 3 के बाहर सुबह 10.30 बजे के लगभग एम. राधा नामक एक महिला को गोली मार दिए जाने से वह गंभीर रूप से घायल हो कर जमीन पर गिर पड़ी। एक गोली उक्त महिला के पेट में और दूसरी हाथ में लगी। इस घटना में एक वकील भी घायल हुआ है। गोली मारने वाला महिला का पति बताया जाता है जो साकेत की बार एसोसिएशन द्वारा निलंबित वकील है। हमले के समय वह वकील के वेश में ही अदालत में हथियार के साथ दाखिल हुआ था। 

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एक टीम ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जाता है कि आरोपी ने उक्त महिला तथा एक वकील के विरुद्ध 25 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज कराया था जिसकी अदालत में शुक्रवार को सुनवाई होनी थी। साकेत कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद शर्मा ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।

वकीलों के रूप में अदालत में आकर गोली चलाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले 24 सितम्बर, 2021 को दिल्ली की रोहिणी अदालत में वकीलों के वेश में घुसे 2 शूटरों ने गोलियां चला कर गैंगस्टर जितेंद्र मान गोगी की हत्या कर दी थी। रोहिणी अदालत परिसर में गोलीबारी की घटना के बाद वहां सुरक्षा प्रबंध कड़े किए गए हैं तथा अदालत परिसर में प्रवेश के द्वार भी सीमित किए गए हैं। 

अदालत परिसरों में इस प्रकार की घटनाएं सुरक्षा प्रणाली में खामियों का मुंह बोलता उदाहरण हैं। इनसे अदालत परिसरों के भीतर न्यायपालिका से जुड़े लोगों तथा आम जनता की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं तथा इसके दृष्टिगत अदालत परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। 

* वकीलों तथा अन्य लोगों के लिए अलग-अलग प्रवेशद्वार होने चाहिएं तथा इलैक्ट्रॉनिक सुरक्षा उपकरणों द्वारा सघन जांच के बाद ही सबको प्रवेश दिया जाए। 
* वकीलों के पास बार कौंसिल द्वारा प्रदत्त मुख्य लाइसैंस की विधिवत शिनाख्त तथा एंट्री पास जांचने के बाद ही उन्हें प्रवेश दिया जाए।
* अदालतों में डबल लेयर सुरक्षा प्रणाली लागू की जाए। गेट पर जांच के बाद कोर्ट रूम के अंदर प्रवेश करने से पहले भी जांच की जानी चाहिए।
* मुकद्दमेबाजी बढऩे के कारण अदालतों में भीड़ बेहद बढ़ गई है। अत: अदालतों में आने वाले आम लोगों की भी विधिवत जांच करने के अलावा अदालत परिसरों में पुलिस तथा अन्य सुरक्षा बलों की चौकसी बढ़ा कर अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था की जाए। 

* अनेक अदालतों में प्रमुख स्थानों पर अभी भी कैमरे नहीं लगे और जो लगे हैं, उनमें से भी अधिकांश काम नहीं कर रहे, जिनका चालू हालत में होना अदालतों में सुरक्षा के लिए जरूरी है। 
उल्लेखनीय है कि निचली अदालतों में तो भीड़ ज्यादा होने के कारण सुरक्षा का खतरा और भी अधिक होता है। अत: देश की सभी बड़ी-छोटी अदालतों में जल्द सुरक्षा प्रबंध मजबूत किए जाने चाहिएं। 

याद रहे कि अभी इसी महीने 16 तारीख को प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में काल्विन अस्पताल के निकट माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को डाक्टरी जांच के लिए लाए जाने के समय, पत्रकारों के वेश में आए 3 बदमाशों ने गोली मार कर उन दोनों की हत्या कर दी थी। इससे स्पष्ट है कि अदालतों तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर अपराधी और हत्यारे अब वेश बदल कर वकीलों और पत्रकारों के रूप में भी हमले करने के लिए आने लगे हैं। अत: इन स्थानों पर सुरक्षा प्रबंध मजबूत करने की जरूरत है। 

अदालतों में लंबे समय तक मुकद्दमों का फैसला न होने और तारीख पर तारीख मिलने के परिणामस्वरूप लोगों में क्रोध बढ़ रहा है और इस कारण वे ऐसी घटनाएं करने लगे हैं तथा आने वाले दिनों में इस तरह की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है। अत: यदि अदालतों में मुकद्दमों के फैसलों में तेजी आ जाए तो इस समस्या में कुछ कमी आ सकती है।—विजय कुमार

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