हरियाणा और उत्तर प्रदेश की पंचायतों के अच्छे निर्णय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jun, 2017 10:29 PM

good decisions of panchayats of haryana and uttar pradesh

एक ओर जहां चंद पंचायतें अपने समाज से संबंधित निरंकुशतावादी निर्णय लेने के .....

एक ओर जहां चंद पंचायतें अपने समाज से संबंधित निरंकुशतावादी निर्णय लेने के चलते आलोचना की पात्र बन रही हैं वहीं अनेक गांवों की पंचायतें कन्या भू्रण हत्या रोकने, कन्या शिक्षा को प्रोत्साहन, विवाहों में फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने, मृत्यु भोज समाप्त करने और पर्यावरण संरक्षण जैसे समाज हितकारी कार्यों के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लेकर और उन्हें प्रभावशाली ढंग से लागू करके प्रशंसा प्राप्त कर रही हैं। इसी सिलसिले में हाल ही में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 2 गांवों की पंचायतों ने निम्र महत्वपूर्ण प्रशंसनीय निर्णय लिए हैं:

हरियाणा के चरखी दादरी में रानीला पंचायत ने सर्वसम्मति से सार्वजनिक स्थलों एवं सामाजिक समारोहों में ऊंची आवाज में लाऊड स्पीकर बजाने पर रोक लगाने के अलावा गांव से शराब का ठेका बंद करवाने का निर्णय लिया है। गांव की महिला सरपंच शर्मीला देवी के पति सुनील साहू की अध्यक्षता में हुई पंचायत की बैठक में इन निर्णयों को अमली जामा पहनाने के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन भी कर दिया गया है तथा इन निर्णयों का उल्लंघन करने वालों के लिए सजा का भी प्रावधान किया गया है। 

पंचायत के एक सदस्य सत्यवान के अनुसार, ‘‘हम शराबनोशी और विवाह-शादियों में फिजूलखर्ची पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं क्योंकि ये दोनों ही बुराइयां लोगों की मौत का कारण बन रही हैं। ऊंची आवाज में लाऊड स्पीकर बजाने से भी लोगों को असुविधा होती है। लिहाजा हमने इस पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।’’ उनका यह भी कहना है कि ‘‘हम गांव में बच्चों की शिक्षा और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और हमें आशा है कि दूसरे गांवों के लोग भी इन नियमों को अपनाएंगे।’’ 

इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के साम्प्रदायिक दृष्टिï से संवेदनशील मुरादाबाद जिले के भगतपुर पुलिस थाने के अंतर्गत गांव ‘थिरियादान’ के लोगों ने भी इस संबंध में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए धर्मस्थलों एवं धार्मिक जलूसों में लाऊड स्पीकरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। गांव की पंचायत की प्रधान सुनीता रानी ने हिन्दू और मुसलमान समुदायों के लोगों की बैठक बुलाई जिसमें दोनों ही समुदायों के लोगों ने ‘आपसी सहमति’ से मंदिरों-मस्जिदों से लाऊड स्पीकर उतारने का निर्णय किया है। 

किसी समय तांबे के बर्तनों के लिए मशहूर मुरादाबाद जिला पिछले तीन वर्षों से मुख्यत: गलत कारणों से ही चर्चा में बना रहा है जिनमें लाऊड स्पीकरों के इस्तेमाल को लेकर होने वाले विवाद मुख्य हैं। हाल ही में स्थानीय गुप्तचर यूनिट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजी एक रिपोर्ट में एक बार फिर इस गांव में लाऊड स्पीकरों के इस्तेमाल को लेकर तनाव होने की चेतावनी भेजी थी। कुछ दिन पूर्व पुलिस ने एक समुदाय की शिकायत पर दूसरे समुदाय के धर्मस्थल से लाऊड स्पीकर उतरवा दिए थे जिससे वहां शांति भंग का खतरा हो गया था। 

इसी स्थिति को देखते हुए प्रधान सुनीता रानी ने हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों समुदायों के सदस्यों की एक संयुक्त बैठक बुलाकर सभी धर्मस्थलों से लाऊड स्पीकर उतरवाने के अलावा धार्मिक आयोजनों और जलूसों में इनका इस्तेमाल न करने के लिए राजी कर लिया है। इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने धार्मिक आयोजनों के अलावा अन्य आयोजनों पर भी लाऊड स्पीकर इस्तेमाल न करने का फैसला किया है। जहां शराब का ठेका बंद करवाने और विवाह-शादियों पर लाऊड स्पीकरों के इस्तेमाल और फिजूलखर्ची न करने का रानीला पंचायत का फैसला अनुकरणीय है वहीं उत्तर प्रदेश के गांव की पंचायत द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द और भाईचारा बनाए रखने के लिए लाऊड स्पीकरों का इस्तेमाल न करने का निर्णय भी प्रशंसनीय है। 

यदि सार्वजनिक हित के महत्वपूर्ण मुद्दों पर महिला प्रधानों वाले दो गांवों की पंचायतें परस्पर सहमति से निर्णय ले सकती हैं तो शहर, जिला, राज्य और देश के स्तर पर हमारे तथाकथित सभी वर्गों के बड़े नेता आपस में मिल बैठ कर परस्पर हित के मुद्दे क्यों नहीं सुलझा सकते। हमारे कर्णधारों को इस संबंध में अवश्य सोचना चाहिए।—विजय कुमार

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!