‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक स्थगित नई बैठक इस माह के तीसरे सप्ताह में

Edited By ,Updated: 07 Dec, 2023 04:37 AM

india alliance meeting postponed new meeting in the third week of this month

3 दिसम्बर को घोषित चुनाव परिणामों में 4 में से 3 राज्यों में भाजपा की भारी जीत और विरोधी दलों की हार से मची हड़बड़ाहट के बीच विरोधी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक 6 दिसम्बर को बुलाई गई थी, परंतु कुछ नेताओं की अनुपलब्धता के कारण इसे स्थगित करके अब...

3 दिसम्बर को घोषित चुनाव परिणामों में 4 में से 3 राज्यों में भाजपा की भारी जीत और विरोधी दलों की हार से मची हड़बड़ाहट के बीच विरोधी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक 6 दिसम्बर को बुलाई गई थी, परंतु कुछ नेताओं की अनुपलब्धता के कारण इसे स्थगित करके अब इस महीने के तीसरे सप्ताह में करने की घोषणा की गई है। इस चुनावी हार के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन के कुछ घटक दलों ने कांग्रेस की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। 

नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) ने कहा कि कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ‘इंडिया’ के सांझेदारों के साथ कोई तालमेल नहीं कर अकेले चुनाव लड़ कर गलती की। हालांकि कुछ राजनीतिक प्रेक्षकों ने इस बैठक के स्थगन को ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए एक झटका बताते हुए इसके भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगाया है, परंतु बैठक में भाग लेने के लिए न आ सकने पर विभिन्न नेताओं ने अपने-अपने ढंग से स्पष्टीकरण दे दिया है। 

जहां ममता बनर्जी ने बैठक की जानकारी न होने की बात कही तो नीतीश कुमार ने बुखार, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तथा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राज्य में व्यस्तता और अखिलेश यादव ने कमलनाथ की अमर्यादित टिप्पणी के बाद कांग्रेस से नाराजगी के कारण इस बैठक में स्वयं भाग न लेने की बात कही। परंतु अखिलेश यादव ने अपनी जगह किसी अन्य नेता को भेजने की बात कही थी तथा यह भी कहा कि ‘‘विपक्ष का गठबंधन और मजबूत होगा। यदि एक प्रदेश (मध्य प्रदेश) में कांग्रेस या जो दल था, उसका व्यवहार वैसा न होता तो परिवर्तन वहां भी हो जाता।’’ 

नि:संदेह गठबंधन के सदस्यों की आशा के अनुरूप चुनाव परिणाम नहीं आए परंतु लोकसभा के चुनावों में अभी लगभग 4 महीने का समय बाकी है और ‘इंडिया’ गठबंधन का उद्देश्य लोकसभा चुनावों में भाजपा को एकजुट होकर चुनौती देना है। अब संभवत: गठबंधन के सदस्य बैठक के लिए उपलब्ध समय के दौरान चुनाव परिणामों पर बेहतर ढंग से चिंतन करके उसी के अनुरूप अपनी भावी रणनीति तय कर सकेंगे। इसके अलावा गठबंधन के नेता भाजपा के जीते हुए राज्यों के मुख्यमंत्रियों के चुनाव और उस पर होने वाली प्रतिक्रिया पर भी नजर बनाए रख सकेंगे जिसे लेकर इस समय सत्तारूढ़ दल में हलचल और मुलाकातें जारी हैं। 

हालांकि गठबंधन के कुछ नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस को अधिक और अन्य दलों को कम सीटें दी गईं परंतु इस मामले में उन्हें कांग्रेस को प्राप्त होने वाला वोट शेयर भी देखने की जरूरत है जो किसी भी राज्य में कम नहीं हुआ। वैसे भी इन चुनावों में 2 दलों भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला था तथा कांग्रेस के सिवाय किसी भी अन्य दल को कुछ नहीं मिला। भाजपा को अपने पारम्परिक वोटों के अलावा दलित, महिला और आदिवासी वोट भी मिले जबकि कांग्रेस को अपने पारम्परिक वोट तो मिले परंतु दलित, महिला और आदिवासी वोट नहीं मिले, जिन्हें अपने पक्ष में करने के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों को आपस में सहमत होना होगा। इस तथ्य की भी उपेक्षा नहीं की जा सकती कि जहां विरोधी दल हारे, वहां अखिलेश यादव ने अधिक भाषण दिए थे और वहां वोट बंट जाने के कारण कांग्रेस की हार हुई, जैसा कि भाजपा चाहती थी। 

इस बीच जहां नीतीश कुमार ने गठबंधन को सीट बंटवारे तथा भविष्य की रणनीति को अंतिम रूप देने में तेजी से काम करने की जरूरत पर बल दिया है वहीं ममता बनर्जी ने राहुल गांधी से बात करके अगली बैठक में शामिल होने की बात कही है वहीं पार्टी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा है कि सीट बंटवारे पर फैसला प्रथमिकता के आधार पर कर लेना चाहिए। किसी भी देश में लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए विपक्ष का मजबूत और संगठित होना अत्यंत आवश्यक होता है। इस कारण सत्ता पक्ष अधिक मेहनत करता है और जनता की कठिनाइयां दूर करने पर अधिक ध्यान देता है। इससे जहां देश का भला होता है, वहीं सत्ता पक्ष को भी इसका लाभ मिलता है। अत: ‘इंडिया’ गठबंधन के मजबूत होने में ही देश का भला है।—विजय कुमार 

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